For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नौकरी के बाद का जीवन -दीपक पांडेय

अध्येता जब मैं था मुझकों थी रोज़गार की लालसा
दूर हो आर्थिक तंगी मेरी - सुधरे अपनी दशा
उच्य हो सामाजिक स्तर कुछ ऐसा हो अपना नौकरीपेशा
उमंग भरे माहौल में होता नित यारों के साथ जलसा

रोज़गार की आस मे दौड़ा- लगा के पूरा दम
मैने फिर नौकरी के परिवेश मे रखा ज्यों कदम
त्यों बदला परिवेश मेरा- दूर हुआ कुछ भ्रम
कार्यालय ही अपना डेरा, कार्यालय ही आश्रम

पराधीन हुआ अब आधा जीवन ,चली गयी आज़ादी
अपनों से दूर होकर के हो गया गुलामी का आदी
खुशियों की होती कभी -कभी यहाँ पर बूँदा-बाँदी
बचा-खुचा भी नर्क हुआ जब हुई हमारी शादी


रोब दिखाए पत्नी घर पर, कार्यालय मे बास
हँसी खुंसी जीवन का कर बैठा अब तो सत्यानाश
कुंवारे विद्यार्थी मित्र करते अब मेरा उपहास
सुख भागा बन करके सौतन-दुख आया आवास

मेरा रिमोट बीवी के हाथों में, टीवी रिमोट लिए बच्चे
लगते सब मुझको अब झूठे , लगते नही कोई सच्चे
ना खा पाऊँ चाट पकौड़े, जीवन नीरस लगे मुझे
खोज ना सकूँ दुख का कारण, ना कोई उत्तर सूझे

दीपक पांडेय
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 639

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by DEEPAK PANDEY on October 24, 2013 at 12:03pm
respected all mentors

I AM 25 YEAR OLD BATCHLOR
Comment by वेदिका on October 24, 2013 at 8:33am

 दूसरे जरूर हंसा करे लेकिन जिसकी जान सांसत मे हो वही जाने| आपका दुखड़ा सुनाकर आपने कितनों के चेहरे पे हंसी ले आए|

बहुत बहुत बधाई!

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 7:11am

हा...हा..हा.... हास्य से सराबोर इस कृति हेतु बधाई आ0 दीपक भाई....

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 22, 2013 at 10:11pm

ठीक ही किया दीपक भाई , शादी के लड्डू खाकर पछ्ताना ज्यादा अच्छा होता है। बधाई सुंदर रचना के लिए ।

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 21, 2013 at 11:28pm

वेदना और हास्य का अनूठा संयोजन | हार्दिक बधाई आपको 

Comment by DEEPAK PANDEY on October 21, 2013 at 8:10pm

DEAR ALL

PLEASE GUIDE ME HOW TO RE -COMMENT TO CONCERN PERSON 

Comment by annapurna bajpai on October 21, 2013 at 6:49pm

इस सुंदर हास्यपाद रचना हेतु बधाई स्वीकारें आ0 दीपक जी । 

Comment by Meena Pathak on October 20, 2013 at 11:35am

बहुत सुन्दर हास्य रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 20, 2013 at 10:33am

बहुत हास्यप्रद रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय दीपक जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 20, 2013 at 10:25am

सुन्दर हास्य रचना आदरणीय दीपक जी बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service