For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || कली बेजार है ||

कली बेजार है, अपनी नजाकत से

बला की खूबसूरत हैं, क़यामत से/१

अकेला हुस्न जो देखा सरे-महफ़िल

तो हम पहलू में जा बैठे शरारत से /२

ज़मीं पर चाँद उतरा है ख़ुशी है ; पर

सितारे ग़मज़दा हैं इस बगावत से /३

बदन सोने सरीखा है , अगर मानो 

जरा सा तिल लगा दूँ मैं, इजाजत से /४

बड़े खामोश रहते हो, वजह क्या है

समंदर दिल में रक्खा है हिफाजत से/५

सुना जो बागबां से आप का किस्सा

गुलिस्तां छोड़ आये हैं शराफ़त से /६

मेरी माँ फिक्रमंदी में, दुआगो है

के रख अल्लाह बेटे को मुहब्बत से /७

.................................................

वज्न: १२२२ १२२२ १२२२ 

सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 

 

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on December 1, 2013 at 1:34pm

महानुभाव  vijay nikore जी ...कृतग्य हूँ आपका ! बहुत बहुत धन्यवाद जो ग़ज़ल को आपका स्नेह मिला ...विनीत नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on December 1, 2013 at 1:33pm

आदरणीय  राजेश 'मृदु' जी हार्दिक अभिनन्दन आपका ! बहुत मेहरबानी ...स्नेह देते रहिएगा ....सादर नमन सहित :)

Comment by vijay nikore on December 1, 2013 at 12:03pm

इस सुंदर गज़ल के लिए बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by राजेश 'मृदु' on November 30, 2013 at 1:39pm

आनंद आ गया आदरणीय, हार्दिक बधाई

Comment by Saarthi Baidyanath on November 30, 2013 at 11:38am

माननीया  coontee mukerji जी ...चरण स्पर्श ! आपने अपना आशीष दिया , ग़ज़ल सचमुच ही अभिभूत होगी ...बहुत बहुत धन्यवाद प्रेषित कर रहा हूँ ! सादर :)

Comment by coontee mukerji on November 29, 2013 at 3:17pm

अकेला हुस्न जो देखा सरे-महफ़िल

तो हम पहलू में जा बैठे शरारत से /२..........अच्छा कटाक्ष है

सुना जो बागबां से आप का किस्सा

गुलिस्तां छोड़ आये हैं शराफ़त से /.........बहुत खूब......दाद कूबूल करें सारथी जी.

सादर/कुंती.

Comment by Saarthi Baidyanath on November 29, 2013 at 3:12pm

श्रीमान  बसंत नेमा  साहब ...ह्रदय से असीम गहराइयों से आपका आभार ! ..नमन सहित :)

Comment by बसंत नेमा on November 29, 2013 at 11:50am

आ0 सारथी जी  बहुत  ख़ूब ग़ज़ल कही है आप ने .. सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई  

Comment by Saarthi Baidyanath on November 29, 2013 at 10:55am

 vandana मैडम , इस स्नेहाशीष के लिए सादर धन्यवाद ! बहुत बढ़िया लगा , आपकी उपस्थिति बहुमूल्य है नाचीज के लिए ! सादर नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on November 29, 2013 at 10:53am

आदरणीय  Nilesh Shevgaonka साहब, जर्रा-नवाजी का शुक्रिया ! ममनून हु जनाब ! मैं तो सभी मोहतरम-हजरात की बातों पर अमल करता हूँ ..जो कुछ भी सीख रहा हूँ , इसी मंच से ! आप सब गुणीजन, ही तो मार्गदर्शक हैं ! मैं अति शीघ्र आप सबके निर्देशानुसार बदलाव करूँगा !...कोटिशः आभार निलेश साहब ...नमन सहित :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
21 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
23 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service