For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल '' आओ सिक्का उछाल लेते हैं '' ( गिरिराज भंडारी )

2122     1212     22 /112

 

आज  फिर से  बवाल  लेते हैं

प्रश्न   कोई   उछाल  लेते  हैं

 

प्यास का हल कोई हमीं करलें

वो  समझने में  साल लेते  हैं

 

उनको आँखों में सिर्फ अश्क़ मिले

वो जो सब का मलाल लेते हैं

 

तेग वो ही चलायें, खुश रह लें

आदतन, हम जो ढाल लेते हैं

 

आज कश्मीर पर हो हल कोई

आओ  सिक्का उछाल लेते हैं  

 

भूख, उनके खड़ी रही दर पर

रिज़्क जो- जो हलाल लेते हैं

 

फिर उजाला मिलेगा सूरज से

बंट   रहा है ख़याल , लेते  हैं

***************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

 

Views: 1031

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Maheshwari Kaneri on April 20, 2014 at 7:29pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल ....... आदरणीय  गिरिराज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 20, 2014 at 4:11pm

आदरणीय राम शिरोमणी भाई , गज़ल की सराहना करने के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

Comment by ram shiromani pathak on April 20, 2014 at 2:34pm

प्यास का हल कोई हमीं करलें

वो  समझने में  साल लेते  हैं/////बहुत सही बात कही आपने 

 

उनको आँखों में सिर्फ अश्क़ मिले

वो जो सब का मलाल लेते हैं////////बढ़िया व्यंग 

भूख, उनके खड़ी रही दर पर

रिज़्क जो- जो हलाल लेते हैं////////बहुत खूब आदरणीय गिरिराज जी,बहुत बहुत बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 20, 2014 at 12:08pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभार !! आदरणीय , मेरा उद्देश्य उस हल  पर तंज करना है जिसमे बयान के ज़रिये  रेफरेंडम करवाने की सलाह दी गई थी !

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 20, 2014 at 11:54am

आदरणीय भाई गिरिराज जी एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई  .

आज कश्मीर पर हो हल कोई
आओ सिक्का उछाल लेते हैं
कश्मीर पर आपका सुझाव अच्छा है पर हल तब भी नहीं है . क्योकि सियासी मसाले दिलों से हल नहीं होते . सियासत ने इसे एक ऐसा नासूर बना दिया है जिसमें अंग को काटकर फेंक भी दें तो शेष सरीर को ताउम्र आराम नहीं मिलता .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 20, 2014 at 11:40am

आदरणीय दीपक भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 20, 2014 at 11:38am

आदरणीय बड़े भाई विजय भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 20, 2014 at 11:36am

आदरणीया वन्दना जी , आपका बहुत बहुत आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 20, 2014 at 11:35am

आदरणीय जितेन्द्र भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 20, 2014 at 11:15am

आज कश्मीर पर हो हल कोई
आओ सिक्का उछाल लेते हैं

भंडारी जी इसका हल तब भी नहीं निकलेगा क्योंकि विदेशी ताक़तें सिक्का गिरने ही नहीं देंगी वोह खड़ा ही रहेगा। मैंने लम्बा अर्सा काश्मीर एयरफोर्स अवन्तीपुरा,श्रीनगर,लेह में बिताया है गाँव गाँव घूमा हूँ लोगों से मिला हूँ बेहद मुश्किल है लोगों के दिमागों से फ़ितूर निकालना I

very well written sir.....

दीपक'कुल्लुवी'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
27 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service