For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल '' चाँद भी अब साँवला हो जायेगा '' - ( गिरिराज़ भंडारी )

2122     2122     2122       212

क्या मुआफी मांग इंसा यूँ भला हो जायेगा

एक अच्छाई से दानव,  देवता हो जायेगा ?

 

खूब घेरी चाँद को , बेशक हज़ारों बदलियाँ

क्या लगा ये ? चाँद भी अब साँवला हो जायेगा

 

जिस तरह से धूप अब अठखेलियाँ करने लगी

सच अगर तू देख लेगा , बावला हो जायेगा

 

थोड़ा डर भी है सताता इस जमे विश्वास को

पर कभी लगता, चमन फिर से हरा जो जायेगा

 

हौसलों को तुम अमल में भी कभी आने तो दो

सिर्फ़ बातें ही करोगे , बोथरा हो जायेगा

 

आज फूलों को मसलता घूमता है, कल वही

आपकी खामोशियों से जाने क्या हो जायेगा

 

अर्श पे बैठे हुवों को जानना होगा ज़रूर

आज जो कुछ वो करेंगे , कायदा हो जायेगा

 

चंद दाने छीट दो तुम पंछियों के वास्ते

वरना गुम्बद कुछ दिनों में बेसदा हो जायेगा 

 

चाँद की इन कोशिशों से आप रंजीदा न हों

रोज़ थोड़ा बढ़ रहा है तो बड़ा हो जायेगा

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

Views: 690

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2014 at 4:57pm

आदरणीय सौरभ भाई , आपकी खुशी मे ही मेरी सफलता छिपी है , बहुत अच्छा लगा , आपकी प्रतिक्रिया ने हार्दिक खुशी दी है , आपका तहे दिल से आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2014 at 4:54pm

आदरणीय नादिर खान भाई , ज़र्रा नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2014 at 2:18am

जय हो.. क्या बात है.. आदरणीय गिरिराह भाई आपने खुश कर दिया.

सादर

Comment by नादिर ख़ान on April 17, 2014 at 11:38pm

चंद दाने छीट दो तुम पंछियों के वास्ते

वरना गुम्बद कुछ दिनों में बेसदा हो जायेगा .आदरणीय गिरिराज जी सुंदर विचारों से सजी  शानदार गज़ल के लिए बधाई ....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 17, 2014 at 6:32pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , आपकी सराहना हमेशा मेरा उत्साह वर्धन करती है , आपका हार्दिक आभार ! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 17, 2014 at 6:30pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 17, 2014 at 5:41pm

बहुत खूब गिरिराज जी, अच्छे अश’आर हुए हैं। दिली दाद कुबूल करें।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2014 at 11:39pm

बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय गिरिराज जी

अर्श पे बैठे हुवों को जानना होगा ज़रूर

आज जो कुछ वो करेंगे , कायदा हो जायेगा............दिली बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 16, 2014 at 5:17pm

आदरणीय मुकेश भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 16, 2014 at 5:15pm

आदरणीय इमरान भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया ! आ. इमरान भाई घेरी कह के है घेरने की क्रिया का पूरा हो चुकी कहना चाहता हूँ , धेरे मे भविष्य मे घेरे  जाने की इच्छा -भाव का भी बोध रहा है ! फिर भी अगर घेरी कहना व्याकरण सम्मत नही है तो मै घेरे कर लूंगा !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service