For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक तरही ग़ज़ल....-महिमा श्री

बहर- 

2122 1212  22

खुशनुमा ये सफ़र है क्या कहिये

साथ मेरे वो गर है क्या कहिये

 

आ गई जान पर है क्या कहिये

चाक मेरा जिगर है क्या कहिये

इश्क में जीत कुछ नहीं होती

हार का फिर भी डर है क्या कहिए

लो गई जान मेरी उल्फत में

सांस अब मुख्तसर है क्या कहिये

छांव मिलती नहीं है दूर तलक

काट डाला शज़र है क्या कहिये

 

साथ अच्छा है हाल अच्छा है

दिल अकेला मगर है क्या कहिये

इश्क धोखा है लाख समझाया ,

दिल ही गुस्ताख़ गर है क्या कहिये

झील में अक्स देख कर मेरा

कौन आता  इधर है क्या कहिये

रात है या बरात शबनम की

भीग कर सोया घर है क्या कहिये

 

 मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 2, 2015 at 7:05pm

दोनों खूबसूरत मत्लों के साथ, बड़ी खूबसूरत गजल कही ,आदरणीया महिमा जी. हर अशआर तारीफ़ के काबिल हुआ.

इश्क में जीत कुछ नहीं होती

हार का फिर भी डर है क्या कहिए

झील में अक्स देख कर मेरा

कौन आता  इधर है क्या कहिये........यह दोनों शेर ख़ास सुंदर लगे, हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by MAHIMA SHREE on March 2, 2015 at 6:28pm

अापका तहे दिल से शुक्रिया परी... 

Comment by MAHIMA SHREE on March 2, 2015 at 6:28pm

हौसलाअफ़जाई के लिए दिल से शुक्रिया आ.धर्मेंद्र जी

Comment by MAHIMA SHREE on March 2, 2015 at 6:26pm

अापका तहे दिल से शुक्रिया आ. हरी प्रकाश दुबे जी,सादर

Comment by MAHIMA SHREE on March 2, 2015 at 6:24pm

सराहना के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया आ. गिरिराज भंडारी जी , सादर 

ध्यानकर्षण के लिए आभार 

उसे बदल कर 

साथ अच्छा है हाल अच्छा है ...कैसा रहेगा

Comment by MAHIMA SHREE on March 2, 2015 at 6:19pm

गज़ल पसंद करने और सराहने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया आ.खुर्शीद खैरादी जी, सादर

Comment by MAHIMA SHREE on March 2, 2015 at 6:16pm

आपका बहुत-2 हार्दिक आभार आ. अरुण निगम सर, सादर

Comment by MAHIMA SHREE on March 2, 2015 at 6:14pm

आपका बहुत-2 आभार जान गोरखपुरी जी

Comment by MAHIMA SHREE on March 2, 2015 at 6:13pm

अापका दिल से शुक्रिया सोमेश कुमार जी

Comment by MAHIMA SHREE on March 2, 2015 at 6:11pm

शेर दर शेर खुबसूरत प्रतिक्रिया से नवाजने के लिए आपका दिल से शुक्रिया आ.मिथिलेश वामनकर जी

आसमानी रंगो का मेला है---- जी इस शेर में  मिसरा-ए-उला शायद बेबह्र हुआ है  ,इसपर ध्यान दिलाने के लिए आभार 

दिल अकेला मगर है क्या कहिये

इसके जगह पर

साथ अच्छा है हाल अच्छा है

दिल अकेला मगर है क्या कहिये.... कर दूँ तो कैसा रहेगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service