For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- प्यास में अब. पानी न मिले शबनम ही सही -- ( गिरिराज भंडारी )

२११२२        २११२२         २११२      

प्यास में अब. पानी न मिले शबनम ही सही

*****************************************

प्यास में अब. पानी न मिले शबनम ही सही

ख्वाब तो हो, सच्चा न सही  मुबहम ही सही

 

लम्स तेरा जिसमें न मिले वो चीज़ ग़लत

आब हो या महताब हो या ज़म ज़म ही सही 

 

मेरे सहन में आज उजाला , कुछ तो करो    

धूप अगर हलकी है उजाला कम ही सही

 

कुछ तो इधर अब फूल खिले सह्राओं में भी 

काँटों लदी हो डाल खिले कम कम ही सही

 

तेज़ बहुत रफ़्तार लगी खुशियों की उधर

कुछ तो बहे अपनी भी गली , मद्धम ही सही

 

है तो फिरी दुनिया की नज़र चल मान लिया 

मेरी वफ़ा कायम है अगर कायम ही सही

 

ता कि ये हथकड़ियाँ भी शिकायत कर न सके 

जब न कलाई कोई जँची, तो हम ही सही  

****************************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

 

 

Views: 1128

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on April 5, 2015 at 9:38am
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई है आदरणीय गिरिराज सर जी। वाह वाह। मेरी तरफ से भी ढेरों दाद व मुबारकबाद सर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2015 at 9:46pm

आदरणीय नीरज भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2015 at 9:46pm

आदरणीय आशुतोष भाई , हौसला अफज़ाई के लिये दिली शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Neer on April 4, 2015 at 6:16pm

वाह वाह आदरणीय क्या खूब .... ख्वाब तो हो, सच्चा न सही  मुबहम ही सही .... बिना ख्वाब के भी क्या जीवन ॥ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 4, 2015 at 2:54pm

आदरणीय गिरिराज भाई साब ..हर ग़ज़ल में एक ताजगी होती है ..इस बेहतरीन रचना के लिए हादिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2015 at 12:27pm

आदरणीय उमेश भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया ॥

Comment by umesh katara on April 4, 2015 at 8:15am

तेज़ बहुत रफ़्तार लगी खुशियों की उधर

कुछ तो बहे अपनी भी गली , मद्धम ही सही
हर शेर पर वाह निकले सर वाहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2015 at 7:11am

आदरणीय मिथिलेश भाई , सराहना के लिये आपका बहुत आभार ॥ आपको इस बह्र पर काम करते पढ़ के बहुत खुशी हुई ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2015 at 7:09am

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , आपसे तारीफ पाके गज़ल मुकम्मल हुई , आपका दिली शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2015 at 7:08am

आअदरणीय श्याम भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service