For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हादसे --- डॉo विजय शंकर

हादसे होते रहते हैं ,
कवरेज होते रहते हैं,
लोग देखते रहते हैं ,
चि ची ची करते रहते हैं ,
बयान होते रहते हैं ,
बहस के शो होते रहते हैं,
संवेदनाओं के लिए
दौरे होते रहते हैं ,
आंसू पोछे जाते हैं ,
आंसू बहाये जाते हैं ,
आंकड़े दिखाए जाते हैं ,
कितने कम हो रहे हैं ,
बताये , गिनाये जाते हैं ,
कितने गुहार नहीं होते ,
वो , नहीं गिनाये जाते हैं ,
अदालतों में पड़े , बढ़ते केस
कभी नहीं बताये जाते हैं ,
फैसले भी कब होते हैं ,
कब गिनाये जाते हैं ,
न्याय के नाम पर कैसे
कैसे अन्याय हो जाते हैं ,
वो नहीं बताये गिनाये जाते हैं।
जग में हम कितने पीछे हैं ,
अपराध में तो और पीछे हैं ,
यह गर्व से बताया जाता है ,
हम पीड़ित के घर , साथ हैं
फोटो में दिखाया जाता है ,
कितना वक़्त ,कितना रुपया
बहाया, यह नहीं बताया जाता है ,
अगले हादसे में पहले वाले को
कभी नहीं दोहराया जाता है ,
वही शिष्टाचार दोहराया जाता है ,
अगला अपराध न हो , थम जाए ,
ऐसा कदम नहीं उठाया जाता है ,
अपराध रोका नहीं जा सकता है
भगवान के द्वारा भी नहीं , यह
घोषित कर के बताया जाता है ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 17, 2015 at 5:04am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, बहुत सही विवेचना की है आपने , आभार, आपकी बधाई , सद्भावनाओं के लिए धन्यवाद, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 16, 2015 at 11:07pm

आदरणीय विजय भाई , वास्तव में यही सब तो हो रहा है , और कोई इलाज भी नहीं है इस  होने का , ऐसा लगता है । सच्चाई बयान लरने के लिये हार्दिक बधाई आपको ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 16, 2015 at 9:06pm
बहुत सही अंश जोड़ा आदरणीय आपने , आभार , आदरणीय लक्षमण रामानुज लडीवाला जी, प्रशस्ति ले लिए बहुत बहुत धन्यवाद, सादर .
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2015 at 6:25pm

हादसें होते रहे  है, होते  रहेंगे - कुछ शान  शौकत के वास्ते, कुछ टी आर  पी के वास्ते, और कुछ ध्यान  बटाने के वास्ते |सामाजिक सरोकार से जुडी सुंदर  रचना के लिए बधाई डॉ  विजय शंकर जी 

 

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 16, 2015 at 6:14am
आदरणीय श्री सुनील जी, आपकी प्रतिक्रिया भी सटीक और सशक्त है , आपका बहुत बहुत आभार , बधाई हेतु भी धन्यवाद , सादर।
Comment by shree suneel on April 16, 2015 at 2:03am
आदरणीय डा0 विजय शंकर सर, आज जो हो रहा है, चल रहा है उसका सशक्त चित्रण किया है आपने. इस सार्थक रचना के लिए बधाई आपको.
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 15, 2015 at 11:03pm
प्रिय कृष्ण मिश्रा जी , रचना पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु आभार और बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 15, 2015 at 11:01pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , रचना पर आपकी प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार , बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 15, 2015 at 10:59pm
जी बहुत सही अभिव्यक्ति है आपकी , आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी , आभार , आपकी सराहना के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 15, 2015 at 10:50pm

आदरणीय विजय सर! सामाजिक सरोकार से जुडी बेहतरीन कविता पर ढेरों बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service