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ओमप्रकाशजी की कमेंट्स से मै भी सहमत हु. कथा अच्छी बनी है नीताजी. बधाई.
माता पिता की मेहनत सार्थक हुई बेटे के भविष्य की मजबूत इमारत का रूप ले ..| सुंदर कथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारे | सादर
आपकी लघुकथा में यह विशेषता है कि लगभग हर पंक्ति सकारात्मकता फैलाती है, जैसे "प्रतिभा माहौल नहीं अवसर देखती है।", आदि| सुधीजनों की राय के अनुसार यदि थोड़ा बहुत बदलाव कर देंगी तो इसे सशक्त लघुकथा बनने से कोई नहीं रोक सकता| गोष्ठी में भाग लेने और सकारात्मक लघुकथा हेतु बधाई प्रेषित है आदरणीया नीता जी |
इसी को तो मजबूत बुनियाद कहते हैं जो ऐसे ही नहीं पड जाती माता पिता के अथक परिश्रम का परिणाम होता है ये बहुत बढ़िया एक सकारात्मक भाव से समृद्ध लघु कथा के लिए बधाई नीता कसर जी
माँ बाप द्वारा "अरमानों की गहरी खुदाई कर, सुसंस्कारों का लोहे का ढाँचा बनाया, एकाग्रता का पानी, सांम्जस्य की ईंटें, तल्लीनता की सीमेंट, पर्याप्त सुविधाओं की रेत, उस पर बच्चे की मेहनत की गिट्टी" यही तो आवश्यक साज़ो सामान दरकार होता है एक मज़बूत बुनियाद के लिए। लघुकथा अच्छी लगी आ० नीता कसार जी। हार्दिक बधाई स्वीकारें।
आदरणीय नीता जी, हार्दिक बधाई! आपकी इस सशक्त लघुकथा ने ओ बी ओ पर आपके नाम की एक मज़बूत बुनियाद रख दी है!पुनः बधाई!
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