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आभार आ विनय कुमार सिंह जी
बच्चे भी बड़ों को अपने ही मां बाप द्वारा दिए, संस्कारों के बल पर, मार्गदर्शन देने में सफल सिध्ध होते हैं। बहुत सुन्दर कथा , बधाई आपको आ. मीना पांडे जी।
आभार आ नीरज जी
आभार आ कांता जी , रचना पर आपकी प्रतिक्रिया सुकून दे गयी
बहुत संवेदनाओं के साथ गढ़ी गई कहानी है और हमेशा की तरह बहुत बढ़िया भी बनी है बधाई आ० मीना जी
आभार आ प्रतिभा पांडे जी
आदरणीया मीना जी कथा स्पष्ट नहीं हो पा रही है। अच्छे प्रयास के लिए दाद कुबूल करें।
आभार आ धर्मेश कुमार सिंह जी
प्रदत्त विषय के साथ आपकी रचना पूरी तरह न्याय कर रही है आ० मीना पाण्डेय जी. किसी भी काम की अधिक्षमता यदि बालपन में पैदा हो जाये तो एक मज़बूत नींव सुनिश्चित हो जाती है. इस सुन्दर और सधी हुई लघुकथा पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आ सर ,आपका अनुमोदन मिल गया सुकून मिल गया ,
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