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शानदार !!! बेहतरीन कथा हुई है | बधाई स्वीकारें आ. माला झा दिदिया
क्या कहने हैं आ० माला झा जी, बेहद सुन्दर लघुकथा कही है I पढ़कर आनंद आ गया, हरिया के मूक प्रतिउत्तर ने रचना को एक अलग ही ऊंचाई प्रदान कर दी I इस प्रभावशाली रचना के लिए मेरी ढेरों ढेर बधाई स्वीकार करें I ("तिल्ली" को "तीली" कर लें)
हार्दिक बधाई आदरणीय माला झा जी!क्या खूब प्रत्युत्तर चुना है आपने!ऐसी लघुकथा इंसान क मन में एक बेचैनी पैदा कर देती है!उसकी सोच को अंज़ाम की तलाश में भटका देती है!उसकी छटपटाहट बढ जाती है!शानदार!लाज़वाब!
बहुत खूब माला जी ,बहुत बधाई इस लघुकथा के लिए
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