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बहुत ही सन्देशपरक लघुकथा हुई है आ० ज्योत्स्ना जी, एकदम सधी हुई और कसी हुई I मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें I
बेहद संतुलित तरीके से आपने एक कठिन मामला उठाया है | शब्दों का चयन भी बेहतरीन ! बधाई स्वीकार करें | सादर
हमारे यहाँ शादी समारोहों में कितना अन्न बर्बाद होता ये बहुत दुखद बात है ,एक अच्छे विषय को कथा का विषय बनाने के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया ज्योत्स्ना जी
हार्दिक बधाई आदरणीय ज्योत्सना कपिल जी!बेहतरीन लघुकथा !संकल्प शीर्षक को पूर्ण रूप से चरितार्थ करती सुन्दर रचना!मानव के मन में अपने ही कर्मों के प्रति पश्चाताप का संकल्प दर्शाती प्रस्तुति!
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