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कथा के मर्म का अनुमोदन करने के लिए हार्दिक आभार आपका चंद्रेश जी
बहुत खूब आ.प्रतिभा पांडे जी। पूजा पाठ से ज्यादा डूबते को बचाना अधिक आवश्यक है, अच्छा संदेश देती कथा।
हार्दिक आभार आपका आदरणीया नीरज जी
बहुत सुन्दर रचना प्रदत्त विषय पर , वो संतान ही क्या जो माता पिता के संकल्पों को पूरा न करे । बहुत बहुत बधाई आपको
हार्दिक आभार आपका आदरणीय विनय कुमार जी
आपकी कथाएं सदैव प्रभावित करती हैं आदरणीय प्रतिभा जी । आप ओबीओ के सबसे टेलेंटेड कथाकारों में से हो। आपकी कथाएं अन्दर तक सकूं पहुंचाती है। आपकी यह कथा भी पूर्व कथाओं जैसी सशक्त व प्रभावशाली बनी है। सादर शुभकामनाएं
आपका हार्दिक आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी
आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त विषय के मर्म को अभिव्यक्त करते ऐसे ही सार्थक शब्दों की प्रतीक्षा थी. बस लाजवाब. आपकी लेखनी का जादू चल गया. मुग्ध हूँ आपकी प्रस्तुति पर. इस सफल लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई.
आदरणीय मिथिलेश जी ,कथा पर सुन्दर टिप्पणी व् प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार
कथा के मर्म का अनुमोदन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया नीता जी
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