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द्रश्य -दर - द्रश्य मन में उतरती गई आपकी कथा | बेहतरीन प्रस्तुति ! साधुवाद स्वीकारें |
बहुत ही खूबसूरत चित्रण किया है आ० अर्चना त्रिपाठी जी I फ्लैशबैक तकनीक का उपयोग कर जिस प्रकार कालखंड दोष से बचा गया है, हाँ भी सराहनीय है I इस सुन्दर और विषयानुरूप लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें I
मीता की कही अंतिम पंक्ति जान है आपकी कहानी की ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस रचना पर आदरणीया अर्चना जी
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