For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" आइये ,अपनी कुर्सी पर विराज लीजिए   ।" इतना तंज ! ऐसे कह गये वे जैसे उसके सिर पर ही बैठने वाली हो ।

"जी , अब काम समझा दिजीए कि मेरा काम क्या होगा यहाँ ?" उनके लहजे से अपमानित सा महसूस कर रही थी । क्या इनके साथ ही काम करना होगा उसे ? कैसे झेलेगी ? हृदय रूआँसा हो रहा था ।

" अरे ,आप क्या काम करेंगी ? आप तो बस पगार उठा कर ऐश करेंगी , काम तो हमें करना होगा ।" वह चिढ़ कर बोला ।

"मतलब ?" सुनकर अनमना उठी । सतीश आप कैसे झेलते रहे होंगे ऐसे लोगों को , पति की याद में आँसू छलक उठे ।

" हुँ ह ,अनुकंपा नियुक्ति जो ठहरी ! आपको आता क्या है , जो काम करेंगी ! इससे अच्छा था कि आपको घर बिठाकर ही पगार ....." बातों में कटाक्ष की पैनी धार सीने को भेदती सी उतर गई ।


" पहले काम तो सिखा कर देखिए , अनाधिकारिक रूप से नहीं आई हूँ यहाँ , पढी - लिखी हूँ , आपसे वादा है अपनी मेहनत और लगन से इतना काम करके दुंगी आपको  कि  , मै अनुकंपा नियुक्ति नहीं , कुर्सी की हकदार लगुंगी ।" सहन करने की क्षमता ने जबाव दे दिया था ।

" अकड़ तो बहुत है , लिजिये यह फाइलें ,पढिये और समझिए , ना समझ में आये तो मै यही बगल वाले सीट पर ही हूँ । " मुस्कुरा कर वह अचानक से सौम्य हो गये ।

अचानक आत्मीयता ?
ओह ! नयी सोच , उसके मनोबल को परखा जा रहा था । आॅफिस में भी रैगिंग ..... वह मुस्कुरा उठी ।


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 27, 2015 at 9:25pm

आदरणीया कान्ता जी ..परीक्षाएं जीवन में हर मोड़ पर देनी पड़ेंगी और हर जगह आत्म बिश्वास से ही  काम चलेगा ..अच्छा बिषय चुना है आपने ..इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 24, 2015 at 11:14am

बहुत सुन्दर ...

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 24, 2015 at 7:41am
कटाक्ष का जवाब आत्मविश्वास ने दिया -
//" पहले काम तो सिखा कर देखिए , अनाधिकारिक रूप से नहीं आई हूँ यहाँ , पढी - लिखी हूँ , आपसे वादा है अपनी मेहनत और लगन से इतना काम करके दुंगी आपको कि , मै अनुकंपा नियुक्ति नहीं , कुर्सी की हकदार लगुंगी ।"//- ऐसी परिस्थितियों में रैगिंग जैसे कटाक्ष या हतोत्साहित करने की किसी भी चेष्टा को परास्त किया ही जाना चाहिए नवनियुक्त कर्मचारी द्वारा। बहुत बढ़िया संदेश वाहक सार्थक कृति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीया कान्ता राय जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 23, 2015 at 7:34pm

ये उतार चढ़ाव बहुत अच्छा लगा कहानी में बहुत बढ़िया हार्दिक बधाई आ० कांता जी कही कही टंकण त्रुटी रह गई है शायद वो आप ठीक कर ही लेंगी |---दिजीए = दीजिये ,दुंगी -दूँगी    लगुंगी =लगूँगी यही =यहीं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
17 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service