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सच कहा दीदी हर बेटी की माँ आने वाले कल के डर के साये में रहती ही है... बेटी का जीवन सुखद बने इसी लिए तो सारे प्रयास होते हैं..आपको कथा पसंद आई ह्रदय तल से आभार..
सीमा जी एक सुंदर प्रस्तुती मन को छूती रचना बधाई आपको।
बहुत बहुत धन्यवाद नयना आरती जी..
/// उदास आँगन बुहारती लड़की की आँखों में अचानक दीवाली के दिए जल उठे थे।/// इस एक पंक्ति ने लघुकथा के सारा निचोड़ पेश कर दिया. बधाई आप को .
कथा सराहने का धन्यवाद आ० ओम प्रकाश जी..
शुक्रिया बबीता बहन ..मगर जो अपनापन आपके जीजी बोलने में है वो इस "आदरणीय ...जी" में कहाँ..
वाह आपको आनंद आया सखी मेरा लिखना सार्थक हुआ..
वही तो मैं आपके ही स्नेहासिक्त वचनों की प्रतीक्षा मे थी कि कब आप पीठ थपथपाओगी.. आपकी उपस्थिति ही ऊर्जा भर देती है ह्रदय से आभार आ० अर्चना दीदी..
दीवाली के दीयों की जगमगाहट ने मन मोह लिया सीमा जी। घर घर की कहानी आपकी जुबानी सुन कर अच्छा लगा।
आपको कथ्य बुनना तो आता ही है, अंत तक निभाना भी।
बधाई स्वीकरेंगी ?
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