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बेटा बेटा करते
करते आज
तीसरी बेटी हुई है
उम्मीदों की बली
आँचल फिर चढ़ी है
दुर्गा माँ की डोली
धूम धाम से
सजी है
और बेटी के
हँसने पर
बेड़ियाँ
लगी है
भाई किसी
लड़की को
छेड़ कर
आया है
बहन ने
फिर भाई को
पुलिस से
छुपाया है
जिस कोख से
तू जन्मा है
उसको शर्मसार
ना कर
अस्तिवा ही
औरत है तेरा
मर्द है तो
हाहा कार
ना कर
जिस रोज़
औरत अपनी
ज़िद पर
अड़ जाएगी
ना लड़का होगा
ना होगी लड़की
औलाद को
तरस जाएगा
और लड़के की
उम्मीद में
लड़की भी ना
देख पाएगा
मौलिक अप्रकाशित

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Comment by रामबली गुप्ता on September 22, 2016 at 5:43am
क्या बात है आदरेया बहुत सुंदर कविता हुई है बहुत बधाई आपको।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2016 at 2:45pm

बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता है बधाई आपको इस रचना के लिए

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 20, 2016 at 12:41pm
आदरणीया दीपू जी यथार्थ को दर्शाती सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई । सादर ।
Comment by Samar kabeer on September 19, 2016 at 3:09pm
मोहतरमा दीपू जी आदाब,बहुत ही भावपूर्ण कविता लिखी है आपने दिल से बधाई स्वीकार करें इस प्रस्तुति पर ।

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