For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कचरे का लोकतंत्र या कचरे में लोकतंत्र (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

दीपावली पर्व की अगली सुबह थी या किसी बड़े जश्न की, ... लोकतंत्र सड़क पर था। जले हुए पटाखों व आतिशबाजी का लोकतंत्र था। अनेकता में एकता। विविधता। रंगभेद, जात-पांत रहित राष्ट्रीय ही नहीं वैश्विक नस्लों का मेल-जोल। सभी की ग़ज़ब की सहभागिता। देशी, विदेशी पटाखों व आतिशबाजी के जले हुए अवशेष नागरिकों के लोकतंत्र को चिढ़ा रहे थे। उधर सीमा पर दुर्योग दो पड़ोसी लोकतंत्रों के घात-प्रतिघात से परिलक्षित शहादतों पर नारेबाज़ी और भाषणबाज़ी करवा रहे थे। लोकतंत्र कचरे में तब्दील लग रहे थे। इधर स्वच्छता अभियान के नारे और भाषण 'एक झाड़ू' में समाये नज़र आ रहे थे! सफाई कर्मचारी की चौड़ी छाती सबको नज़र आ रही थी। सब को उस पर गर्व था, उससे उम्मीदें थीं।

"कचरे का लोकतंत्र अब ज़मीन से उठ जायेगा, रास्ता साफ़ हो जायेगा!" एक मीडिया कर्मी ने कैमरे से तस्वीरें लेते हुए व्यंगात्मक लहज़े में कहा।

यह सुनकर उसके सहयोगी ने कहा- "परन्तु यह रास्ता अगले 'कचरा अभियान' की ओर ही जायेगा न, सभी की परम्परागत सहभागिता से!"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 413

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 21, 2016 at 5:09pm
रचना पर समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए सभी सुधी पाठकगण [विउअर्ज़) को हृदयतल से बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 6, 2016 at 10:51am
मेरी रचना का अनुमोदन करती बढ़िया टिप्पणी व हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 31, 2016 at 10:09am

मोहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब, सियासत और समाज को आईना दिखाती सुन्दर लघुकथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, दीपपर्व की शुभकामनाएँ।  छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अशोक  भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका।  लगता है गेयता की समस्या  मेरी…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद  भाव स्पष्ट करने  के लिए |"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"लड़ियाँ  झूमें  ओने-कोने,  फूले-फले  त्योहार।...उत्तम कामना है आपकी किन्तु…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" दूर दूर रहना मजबूरी, बिखर गया परिवार।               …"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ग्राहक सोचे क्या-क्या ले लूँ , और किसे दूँ छोड़.... सच यही स्थिति होती है सजा हुआ बाज़ार देखकर.…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंद गीत पर आपकी सराहना ने सृजन को सार्थकता प्रदान की है.…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आपको भी दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. प्रस्तुत…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हृदय से आभार. सादर "
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service