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बतकही ( गपसप ) अंक ३

 
हमके बस से उतरत देख लछुमन भाई जोर से आवाज लगवले प्रणाम गुरु जी, इ का रउआ बाइक से आइल गइल बंद क देनी का ? त हम कहनी की न हो लछुमन भाई हम बाइक चलावल नइखी छोडले, बाकिर का करी पीठ के दर्द से परेशान होके डाक्टर के लगे गइनी आउर उनकर तुगलकी फरमान की बाइक कुछ दिन खातिर बंद कर द, ना त हमेशा खातिर तरस जइब, तबसे हम छोड़ देनी, तब लछुमन भाई हस के कहलन जय हो गुरु जी के ! रउआ बड़ा बढ़िया लाज पचावे आवे ला, तब हम कहनी का कहत बाड़ भाई हम का लाज पचावत बानी, त उ कहलन हम ठीक कहत बनी रउआ पीठ के दर्द के वजह से बस से आवत जात बानी त गुरुआइन के किरिया खा के बोली की इ बात सही बा, तब हम का करी लछुमन भाई के हकीकत बतावे पर हम मजबूर हो गईनी आउर उ हमार घाव कुरेद देले रहलन, हमरा चेहरा के आवत जात भाव देख के उ कहलन अब सच बोलिए दी, तब हम कहनी जब हम पहिला बेर बाइक लेले रहनी त पेट्रोल लगभग १८ रूपया लीटर रहे आउर वो बेरा कंपनी से पेट्रोल खातिर ७०० मिळत रहे, जब इ बाइक लेहनी त पेट्रोल ३५ रूपया के आस पास रहे आउर कंपनी १००० रूपया देबे लागल, ऐने दू तीन साल में पेट्रोल के दाम सुरसा के मुह लेखन बढ़ गइल, कंपनियो मेहरबानी कईलस अब १४०० रूपया मिले लागल बाकि पेट्रोल में ३००० रूपया खर्च हो जात रहल ह, जवना से घर के बजट बिगड गइल रहल ह, बाकिर का करी जईसे शेर के मुहे मांस लाग जाला वैसही हमरा एकरा से लगाव हो गइल रहल हा, जब पिछला सप्ताह ५ रूपया बढल ह आउर टंकी फुल करावे में ५० रूपया पाकिट से एक्स्ट्रा निकलल ह त हमार अकिल खुलल ह बाकिर मन कहलस... बिच में टोकले लछुमन भाई, का कहलस राउर मन ?  उ त बाद में बताइब पाहिले चाय द, उ चाय देहले हम चुस्की लेके शुरू हो गइनी, पईसा जादा लागत बा त का ह, आराम से आ जात बानी नु आउर गाड़ी चलत जात रहुये, बाकिर भला होखे वो लोग के जे एकरा बिरोध में पेट्रोल पम्प बंद कइल लोग आउर गाड़ी में पेट्रोल ना रहे के कारण हम बस पर चढ़ गइनी, आउर शाम के आके जोड़नी कि आज आवे जाये में १६ रूपया खर्च भइल यानि महिना के ४८० रुपिया आउर पेट्रोल में लागत रहे दाम बढ़ला पर ३१५० रूपया यानि बचत २६७० रूपया महिना, साल के ३२०४० रूपया १९ साल नोकरी बा यानि ६,१८,७६० रूपया के बचत अब तुही बतावs हम बाइक पर कईसे चढ़ी , तब लछुमन भाई कहलन बड़ा बढ़िया बात बतवनी गुरु जी एकरा खातिर रउआ के धन्यवाद, तब हम कहनी एकरा खातिर हमके ना मनमोहन बाबु आउर सोनिया जी के धन्यवाद द की इहा लोगिन तेल के बेलगाम कर देनी लोग आउर ओकरा वजह से हमरा अइसन आदमी के इ बचत होखे वाला बा, फिर हम उनके राम सलाम क के उहा से चल देनी पीछे से आवाज हमरा कान में पडल जय हो गुरु जी के !

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जय हो गुरूजी, इ सोरहो आने सांच बा की आज के बखत लाज आ इज्जत बचावल आ पचावल बड़ जोखिम के काम हो गइल बा. पूछे वाला लक्ष्मण के का दोष बा,दोष त अपना देश के नसीब के बा-जे महंगाई, बुराई,बेवफाई, बेहयाई, रुसवाई अउरी आपस के लड़ाई से बेदम हो गइल बा.
jai ho satish bhai

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