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कल-कल-कल-कल
बहती नदियाँ
झर-झर-झर-झर
झरते झरने
घुन-घुन-घुन-घुन
गाते भँवर
घिर-घिर-घिर-घिर
बदरा बरसे
जिन पर सबको है अभिमान
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान
सबसे न्यारा हिन्दुस्तान
तुमको प्यारा हिन्दुस्तान
हमको प्यारा हिन्दुस्तान
सबको प्यारा हिन्दुस्तान।

पडोसियों ने सीमा पर
जब-जब आग बरसाई है
गवाह हिमालय है हमने अपनी
छाती छलनी कराई है
माताओं ने अपने बेटे
सरहद पे लुटाए हैं
हिमालय की वादियों में भी
अमन के चमन खिलाए हैं
सबको जिन पर है अभिमान
सबसे प्यारा हिन्दुस्तान
रणवीरों का हिन्दुस्तान
मेरी धरती हिन्दुस्तान
तेरी धरती हिन्दुस्तान
सबकी धरती हिन्दुस्तान।

मौलिक व अप्रकाशित

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Replies to This Discussion

देशभक्ति से ओतप्रोत यह रचना आपकी बहुत सुन्दर हुई है । हार्दिक बधाई आदरणीय ।
आदरणीया कल्पना भट्ट जी रचना प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार। सादर।
आदरणीय सुरेश जी सादर अभिवादन देश भक्ति की भावना से ओज प्रोत यह रचना बेहद उम्दा और भावपूर्ण है। बधाई ऐसे सृजन के लिए।
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी रचना अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार।सादर।

बाल साहित्य में आपकी प्रस्तुति का स्वागत है, आदरणीय. अच्छी भावनाओं को शब्द देती यह रचना रोचक भी बन पड़ी है. इस हेतु हार्दिक बधाइयाँ.

लेकिन इसी के साथ एक आवश्यक बात साझा करनी आवश्यक है. बाल रचनाएँ अविकसित या अनगढ़ वयस्क रचनाएँ नहीं होतीं. बल्कि इनकी एक विशेष श्रेणी हुआ करती है. ऐसी रचनाओं में न केवल भाव बल्कि शब्द, शब्द-संयोजन, तदनुरूप प्रवाह तथा संप्रेषणीयता का होना अत्यंत आवश्यक है. इसी कारण ऐसी रचनाओं की शिल्पगत प्रौढ़ता न दिखती हुई भी बहुत अधिक होती है. विश्वास है, आप ही नहीं अन्य रचनाकार भी इस ओर उचित ध्यान देंगे. बाल-साहित्य की रचनाएँ जितनी सहज दिखती हैं उतनी हुआ नहीं करतीं. आजका साहित्यिक माहौल भले ही उतना उपयुक्त न दिख रहा हो. लेकिन समृद्ध बाल रचनाएँ लिखी जा रही हैं. पुराने और प्रतिष्ठित रचनाकारों में दिनकर, बच्चन, पंत, महादेवी, कन्हैयालाल नन्दन, राजेन्द्र अवस्थी आदि बहुत से नाम हैं जिन्होंने बाल-साहित्य में ’गंंभीर’ काम किया है. 

हार्दिक शुभकामनाएँ 

श्रद्धेय सौरभ पांडेय जी सादर अभिवादन! रचना को अपना कीमती समय देकर मार्गदर्शन करने के लिए हृदय की गहराईयों से आभार। आपके संकेत को मैं समझ गया हूँ। आपके मार्गदर्शन में आगे और अधिक शिल्पगत प्रौढ एवं परिपक्व रचनाएं प्रेषित होंगी।ऐसी कोशिश रहेगी। सादर।

हार्दिक धन्यवाद और शुभेच्छाएँ, आदरणीय।

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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