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"फागुन की पूनम"/ अर्पणा शर्मा

आई फागुन की पूनम,
बरसाये शीतलता मेरे आँगन,
स्वच्छ अंबर,
चमकीला तारामंड़ल,
झिलमिल-झिलमिल,
शुभ्र-धवल,
आई फागुन की पूनम,

बसंती मदमस्त पवन,
दे हिलोंरें मंद-मंद,
पलाश, सेमल दहकाएं अगन,
मस्ती में बौराए,
उत्साहित सर्वजन,
ढ़ोल, मंजीरे, नगाड़़े,
टोलियाँ करें फाग गायन,
आई फागुन की पूनम,

होली दहन को है सजाई,
ले गोद प्रहलाद को,
होलिका थी इसमें समाई,
असत्य की भावना राख हुई,
सत्य पर कोई आँच न आई,
करने सत्य पर,
हमारा विश्वास सघन,
आई फागुन की पूनम,

करके होली परिक्रमा, पूजन,
रंग-अबीर खेलेंगे,
सभी बाल-वृंद,
होली-बधाईयों की होगी,
चहुँ ओर गुँजन,
बिखेरे भाईचारे का सौजन्य,
लेकर आपसी स्नेह की सुगंध,
आई फागुन की पूनम...

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by pratibha pande on March 10, 2017 at 1:23pm
बहुत खूब होली के धार्मिक व सामाजिक रूप को सुन्दर शब्द मिले हैं आपकी रचना मे हार्दिक बधाई प्रिय अर्पणा जी
Comment by Mohammed Arif on March 9, 2017 at 6:55pm
आदरणीया अर्पणा जी आदाब,फागुनी अहसासों से भरपूर इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

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