For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" कैसे कहूँ ...."- कविता /अर्पणा शर्मा

कैसे कहूँ मन की व्यथा,
सारे दुख-सुख का,
सब लेखा-जोखा,
किसने कितनी दी पीड़ा,
किस-किसने कब,
दिया मुझे धोखा,
वो गठरी पीछे छोड़ ,
बस बढ़ जाती हूँ,
निरंतर आगे की ओर,
समयधारा में धुल जाते हैं,
बहुत गहन घाव भी,
सप्रयास बिसरा देती हूँ ,
पीड़ा की सघन छाँव भी,
मुँह कर खड़ी होती हूँ,
झिर्री से आती धूप की ओर,
लेती हूँ उसका ताप भी,
भरती हूँ उसकी आब भी,
अपनी देह और अंतस में,
आशा की दरारों से,
वहाँ बिखर जाने देती हूँ ,
उन सूर्य रश्मियों को,
अपने होने का ,
सुदृढ विश्वास लिये...

। मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 12, 2017 at 8:52pm
वाह बड़ी ही सुंदरता से आपने भावों को शब्दों में पिरोया है..बधाइयाँ
Comment by Arpana Sharma on January 11, 2017 at 3:39pm
आदरणीय श्रीमान् विजय निकोरे जी एवं श्रीमान् मोहम्मद आरीफ जी - आपकी शुभकामनाओं का बहुत शुक्रिया ।
Comment by vijay nikore on January 11, 2017 at 1:31pm

ऐसी सुन्दर कविता कम ही मिलती है। हार्दिक बधाई, आदरणीया अर्पणा जी।

Comment by vijay nikore on January 11, 2017 at 1:31pm

ऐसी सुन्दर कविता कम ही मिलती है। हार्दिक बधाई, आदरणीया अर्पणा जी।

Comment by Mohammed Arif on January 11, 2017 at 8:11am
आदरणीया अर्पणा शर्मा जी, आशा का का संचार करती कविता के लिए बधाई !
Comment by Arpana Sharma on January 10, 2017 at 10:33pm
आदरणीय श्रीमान् समर कबीर साहब - मेरी कविता पर आपकी सह्रदय सराहना का बहुत -बहुत शुक्रिया और सादर नमन्।
Comment by Samar kabeer on January 10, 2017 at 9:15pm
मोहतरमा अर्पणा शर्मा साहिबा आदाब,आज का दिन वाक़ई मेरा अच्छा दिन है कि ये दूसरी अच्छी कविता पढ़ रहा हूँ,अभी सुशील सरना साहिब की कविता पढ़ी और उसके फ़ौरन बाद ही आपकी कविता मिल गई ।
वाह बहुत ख़ूब लिखी आपने ये महसूसात पर मबनी कविता,क्या शब्दों में रवानी है, बात कहने का संतुलन देखते ही बनता है,बहुत सुंदर,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Arpana Sharma on January 10, 2017 at 5:27pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी - आपके प्रोत्साहन का हार्दिक धन्यवाद

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 10, 2017 at 5:07pm

आदरणीया अर्पणा जी, बहुत बढ़िया भावाभिव्यक्ति हुई है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
26 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
1 hour ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
20 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service