For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदमी को आदमी ही अब समझ ले आदमी (गजल)/सतविन्द्र कुमार राणा

2122 2122 2122.212
प्यार के अहसास को दिल की चुभन तक ले चलो
नफरतों को भूलकर फिर से मिलन तक ले चलो।

आदमी को आदमी ही अब समझ ले आदमी
आदमीयत को जमाने के चलन तक ले चलो

बन नहीं सकती अगर सरकार खुद के जोर से
साथ लेकर औरों को इसके गठन तक ले चलो

भूख से तड़पे न कोई ठण्ड से काँपे नहीं
रोटी कपड़ा हर किसी के अब बदन तक ले चलो

छोड़ कर जिसको हूँ आया चन्द सिक्कों के लिए
याद आता है मुझे,मेरे वतन तक ले चलो

छोड़ना तन को था मुश्किल बिन तेरे दीदार के
हो गया दीदार बस अब तो कफ़न तक ले चलो

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 835

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 16, 2017 at 10:14pm
आदरणीय हेमंत कुमार जी,प्रयास पर उपस्थित होकर हौंसलाफ़ज़ाई करने के लिए तहेदिल शुक्रिया।आपने सही संकेत किया था,भूल सुधार कर लिया गया है सादर।
Comment by Hemant kumar on March 16, 2017 at 8:02am

bahut umnda gazal hui hai rana ji badhaiyan swikaren...akhari misare me le likhana rah gaya hai dekh len...

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 14, 2017 at 10:38pm
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर नमन एवं हार्दिक आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 14, 2017 at 10:37pm
आदरणीय डॉ आसुतोष जी,गजल प्रयास को पसन्द कर हौंसलाफ़ज़ाई करने के लिए तहे दिल शुक्रिया!सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 14, 2017 at 10:35pm
आदरणीय तेजवीर जी प्रयास को सराहकर प्रोत्साहित करने के लिए,तहेदिल आभार, सादर नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 14, 2017 at 10:34pm
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन!कोशिश पर आपका उपस्थित होना और मार्गदर्शन और प्रोत्साहन हमेशा ही उर्जाप्रद है।आपको यह प्रयास पसन्द आया यह सार्थक हुआ।हारदिक आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 14, 2017 at 10:31pm
आदरणीय गुरप्रीत जी सादर,आपको यह प्रयास आपको अच्छा लगा मुझे हौंसला मिला।सीखने प्रारंभिक दौर में हूँ।कोशिश रहेगी कि आगामी प्रयास भी ऐसे कामयाब हो पाएँ।कृपया यह स्नेह यूँ ही बना रहे! सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 14, 2017 at 10:23pm
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी अनुमोदन और सराहना के लिए सादर हार्दिक बधाई।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 14, 2017 at 11:13am
आदरणीय सतविंदर जी सभी शेर उम्दा है हर तरह के बिषय को समाहित करती रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 14, 2017 at 11:10am
आदरणीय सतविंदर जी सभी शेर उम्दा है हर तरह के बिषय को समाहित करती रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
16 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service