For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (मुहब्बत ही निभाई दोस्तों ) -

ग़ज़ल (मुहब्बत ही निभाई दोस्तों )
------------------------------------------
2122 -2122 -2122 -212

आँख उसने जब भी नफ़रत की दिखाई दोस्तों |
मैं ने बदले में मुहब्बत ही निभाई दोस्तों |

रुख़ तअस्सुब की हवा का भी अचानक मुड़ गया
जिस घड़ी शमए वफ़ा हम ने जलाई दोस्तों |

गम है यह इल्ज़ाम साबित हो नहीं पाया मगर
आज़माइश फिर भी क़िस्मत में है आई दोस्तों |

बन गया दुश्मन अमीरे शह्र मेरा इस लिए
हक़ की खातिर ही क़लम मैं ने उठाई दोस्तों |

टिमटिमाने लग गई हर शमअ जुगनू की तरह
किस की महफ़िल में हुई जलवा नुमाई दोस्तों |

कारवाँ की ख़ैरियत की मांगिए रब से दुआ
राह ज़न के हाथ में है रहनुमाई दोस्तों |

दुश्मने जाँ बन गई तस्दीक़ दौलत बाप की
यूँ मुखालिफ़ तो न भाई से है भाई दोस्तों |

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 879

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2017 at 9:59pm

मुहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला
का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 5, 2017 at 6:20pm

आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2017 at 10:06pm

मुहतरम जनाब महेन्द्र कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला
अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी -----

Comment by Mahendra Kumar on April 4, 2017 at 9:53pm
बहुत बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय तस्दीक़ जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2017 at 7:00pm
मुहतर्मा राजेश कुमारी साहिबा ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया ----

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2017 at 6:42pm

बहुत  सुंदर ग़ज़ल हुई मोहतरम जनाब तस्दीक साहब शेर दर शेर मुबारकबाद क़ुबूल करें |

Comment by Samar kabeer on April 4, 2017 at 10:11am
भाई,"क़लम"उर्दू के लिहाज़ से पुल्लिंग है, और हिन्दी में इस स्त्रीलिंग लेते हैं,ये में नीचे लिख चुका हूँ, लेकिन जब हम ग़ज़ल में इसे इस्तेमाल करें तो पुल्लिंग ही लेना बहतर होगा,हाँ लघुकथा या छन्द में इसे आप स्त्रीलिंग ले सकते हैं,इससे ये बात सामने आई कि ये शब्द दोनों तरह से लिया जा सकता है,भाई निलेश जी ने जो लिखा है वो ग़ज़ल के हिसाब से लिखा है ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 3, 2017 at 9:18pm

मुहतरम जनाब समर साहिबआदाब , जहाँ तक मेरी जानकारी है ''क़लम '' लफ्ज़ का
इस्तेमाल पुल्लिंग और स्त्रिलिन्ग दोनो में हो रहा है| तारीख 28 -02 -2016 को लघुकथा
गोष्टी अंक -11 में मैं ने लघुकथा ''साथी '' विषय पर पोस्ट की थी ,उसमें '' क़लम उठाया ''
लिखा था तब कॉमेंट में कहा गया था कि ''क़लम ''स्त्रीलिंग है ,उसे क़लम उठाई कर दिया था
----सादर

Comment by Samar kabeer on April 3, 2017 at 10:28am
"क़लम"उर्दू में पुल्लिंग है,और हिन्दी में स्त्रीलिंग ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 3, 2017 at 7:09am
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया--

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
6 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service