For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

22 22 22 22
केले की है महिमा,भाई
उसकी होती देख बड़ाई।1

कच्चा, सब्जी में आ जाता
पक जाये फिर गटको भाई।2

छिलके दूर कहीं रखना जी,
पाँव पड़ें, तो राम दुहाई।3

कब्ज हरेगा, रक्त बढ़ेगा,
लौह करेगा तन, हरषाई।4

बाबाजी ने गज्ल बनायी
गाते चलते महिमा भाई।5

नाम न आने पर देखा है
सोमूजी रहते छड़िआई।6

बाल बचे जो,वे लहरायें,
छतरी ओढ़े टकलू नाई।7
@मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1188

Replies to This Discussion

केले की महिमा को केले की विशेषताओं के इर्द-ग़िर्द ही रहने देना था. रचना सुन्दर बन पड़ी है. लेकिन ग़ज़ल कहने और तदनुरूप बरतने के फेर में कथ्य के लिहाज़ से प्रस्तुति नियत नहीं रह पायी है. जबकि बाल-रचनाओं के लिए ऐसा होना आवश्यक हुआ करता है. ऐसा ही होना ही चाहिए. और विधा चाहे ग़ज़ल की ही हो, विधा का नाम दे देने बाल-रचनाओं में अनावश्यक गंभीरता आ जाती है. जबकि इन रचनाओं का उद्येश्य बच्चे हुआ करते हैं. वैसे रचना के तौर पर यह प्रस्तुति मनभावन बन पड़ी है. इसके लिए दाद तो बनती ही है.

हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें, आदरणीय मनन जी. 

आदरणीय सौरभ जी,स्नेहिल सुझाओं से कृतार्थ हूँ।आपकी प्रेरणा मेरे लिए अमूल्य है।रही बात गजल और नाम वगैरह की,तो यह रचना महिमा(पोती)की फरमाईश का नतीजा है।अतः,रचना के क्रम में स्वतः ही ये सब घटित हुए हैं,अलग सेकोई आयास नहीं किया गया है,सादर।पुनश्च, बहुत बहुत आभारी हूँ।

आदरणीय मेरे कहे का तात्पर्य यह है कि इस रचना की विधा अवश्य ग़ज़ल विन्यास पर आधारित है. लेकिन शीर्षक ’केलेकी महिमा’ होने से इस रचना को शीर्षक तक केन्द्रित रखना श्रेयस्कर था. साथ ही, शीर्षक में ग़ज़ल आदि लिखने की कोई सार्थक आवश्यकता महसूस नहीं होती. 

वैसे इसमें संदेह नहीं है, कि आपकी यह रचना बाल-मनोविज्ञान को संतुष्ट कर पाने में सक्षम है. 

जी आदरणीय, आपकी भावनाओं से अभिभूत हूँ।
पाँच बसंतों की महिमा मेरी गजलें सुनकर याद कर लेती हैं,मुझे सुनाती भी हैं।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service