आदरणीय साथिओ,
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भंवर
‘तू खींच मेरी फोटो -------‘
एक स्कूली लड़का पीठ पर बस्ता लादे मस्त गाता हुआ पानी से भरी शहर की सड़क पर चला जा रहा था. शहर में जब कभी देर तक मूसलाधार बारिश होती है तब यहाँ ड्रेनेज व्यवस्था की पोल पट्टी खुल जाती है . नगर महापालिका के सारे दावे झूठे साबित हो जाते हैं. पर सरकारे शायद हर जगह इसी तरह चलती है .
लड़का बारिश रुक जाने पर स्कूल से घर के लिए जा रहा था. सड़क पर आवागमन कम था . कुछ फंसे हुए मजबूर लोग ही पानी में चल रहे थे . पानी से भरी सड़क पर चलना उस लड़के के लिए मुश्किल हो रहा था, इस जलभराव में टेम्पो का चलना बंद हो चुका था. पानी भरी ऊबड़--खाबड़ सड़कों पर वाहन चलाकर कोई भी रिस्क क्यों ले. इसलिए पैदल जाना उसकी मजबूरी थी. हालाँकि घर बहुत दूर नहीं था. लेकिन लगभग कमर तक भरे पानी में पाँव आसानी से बढ़ नहीं रहे थे. उसे यह भी चिंता थी की माँ घर पर इन्तजार कर रही होगी .
अचानक एक कार ठीक उसके बगल से गुजरी. लडके ने बचने की कोशिश की पर पूरी तरह भीग गया. पानी के बहाव में वह सड़क के मोड़ पर एक किनारे की ओर बढ़ आया, वहाँ उसे एक भंवर दिखाई दिया. वहाँ पानी गोल-गोल चक्कर काट रहा था और एक छेद से होकर पानी अन्दर जा रहा था , लड़के ने ऐसा दृश्य कभी न देखा था . वह भंवर के पास चला आया .
‘तू खींच मेरी फोटो -------‘ उसने फिर एक तान भरी और मोबाइल से उस भंवर की फोटो खींचने लगा . तभी एक भारी वाहन उसकी बगल से गुजरा. लड़के ने फिर बचने की कोशिश की और बदकिस्मती से उसी भंवर में जा गिरा. लड़के का शरीर जूं --- से लहराया और चक्कर खा कर भंवर में समां गया.
सडक के किनारे एक बोर्ड लगा था – ‘कृपया सावधान ! मेनहोल खुला है.’
मौलिक एवं अप्रकाशित
बहुत ही उम्दा चित्रण किया है आप ने आदरणीय गोपाल नारायण जी. ऐसा लग रहा था कि जैसे यह घटना आँखों के सामने घट रही है. बधाई आप को इस उम्दा रचना के लिए.
आदरणीय हौसला बढ़ने का शुक्रिया .
आदरणीय , बहुत बहुत आभार ,
आ० मंच संचालक जी . मौलिक व् अप्रकाशित लिखना छूट गया था . जिसका खेद है .. मैं यहाँ इसकी तस्दीक करता हूँ , सादर .
आपकी तसदीक़ के बाद "मौलिक एवं अप्रकाशित" आपकी रचना के नीचे लिख दिया गया है आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जीI
आभार अनुज
आदरणीया शुक्रगुजार हूँ
आरिफ भाई बहुत बहुत आभार .
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