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लघुकथा --वो आ गए

बड़े बाबा के जिगरी दोस्त,छोटे चाचा यूँ तो हमारे परिवार की रिश्तेदारी में कुछ नहीं लगते पर रिश्तेदारों से बढ़कर करते हैं |घर पर कोई मौका हो गम का या खुशी का,पिछले चालीस सालों से,वे सदैव उपस्थित रहते हैं|घर के किसी भी सदस्य का जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह ,छोटे चाचा गुलाबजामन की हंडिया लेकर आते | ढेरों आशीष तो देते ही थे ,शेरो शायरी सुना कर माहौल को खुशगवार बना देते थे |हम सब भाई बहिन हँसते हुए आपस में कहते “वो आये नहीं ?”या “वो आ गए हैं |” “वो आ रहे हैं|”

आजकल के बच्चों व बहुओं को ये बात नागवार गुज़रती है बिन बुलाए मेहमान ,खातिर करो सो अलग |होटल में जन्मदिन मनाना हो तो जा नहीं सकते क्योंकि शाम को “वो आयेंगे”|घुमा फिरा कर बच्चे भी उनसे कहने लगे “आजकल तो व्हाट्सेप,फोन,ईमेल की इतनी सुविधा हो गयी है|आप इतनी गर्मी में बाहर मत निकला करिए ,आपकी तरफ से चिंता रहती है और आप भी धूप में परेशान होते हैं| “अरे नहीं बरखुरदार ,जबतक आपस में मिल बैठ कर बातचीत न कर लें,तबतक मन नहीं भरता है और तुम लोगों को देखे बिना चैन भी नहीं पड़ता है |ईमेंल व्हाट्सेप वगैरह तो बेकार की चीज़ है |हाँ दूरदराज़ में रहने वाले लोगों से वार्तालाप के लिये तो ठीक है,पर इससे आत्मीय सम्बन्ध नहीं बन पाते हैं | फिर धीरे से बोले “अच्छा अब मैं चलता हूँ|”

अगले दिन बिट्टू का जन्मदिन ,सुबह सुबह व्हाट सेप  पर गुलाबजामुन की हंडिया के चित्र के साथ छोटे चाचा का बधाई सन्देश आया|घर में दिन भर चुप्पी का दमघोंटू माहौल रहा |सबकी निगाहें दरवाज़े पर टिकी थीं ,शायद अब “वो आ गए”.

.

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by Manisha Saxena on August 1, 2017 at 8:57pm

आ.उस्मानी जी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |आपकी सलाह को मैं ज़रूर ध्यान में रखकर पुनः कोशिश करूंगी |इस बार की प्रतियोगिता में किन्हीं कारणों वश भाग नहीं ले आई पर इस विषय पर लघुकथा ज़रूर लिखूंगी |

Comment by Manisha Saxena on August 1, 2017 at 8:50pm

बहुत बहुत धन्यवाद आ. नीता कसार जी  व जानकी वाही जी |

Comment by Nita Kasar on July 29, 2017 at 9:30pm
मन की दूरियाँ पाटती प्यारी सी कथा के लिये व सांर्थक कथा के लिये बधाई आद० मनीषा सक्सेना जी ।
Comment by Janki wahie on July 28, 2017 at 3:03pm
बेहतरीन कथ्य।बधाई
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 25, 2017 at 8:15pm
बहुत बढ़िया कथानक व बेहतरीन तथ्य और कथ्य को लेकर बढ़िया अंतिम पंक्ति के साथ बहुत अच्छे प्रयास के लिए सादर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय मनीषा सक्सेना जी। अब इसी रचना पर समय देकर इसमें अतिरिक्त विवरण की कांट-छांट कर या सम्पादन कर कुछ एक वाक्य-विन्यास बेहतर कर रचना में कसावट लाने का प्रयास कीजिएगा। आपकी अगली रचना की प्रतीक्षा रहेगी। इस माह के अंतिम 48 घंटों में आयोजित होने वाली मासिक लघुकथा गोष्ठी में सहभागिता कर हम सबके साथ लघुकथा अभ्यास कीजिएगा। सादर।

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