For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" स्वतंत्रता जय-राग "/ अर्पणा शर्मा

स्वतंत्रता जय-राग सुनाओ,
जय-हिन्द की जयकार गुँजाओ,
सब जन हिलमिल करके आओ,
प्रखर गीत कोई ऐसा गाओ...!

क्षेत्र ,धर्म, जाति मिल सब,
छिन्न करें अस्तित्व जब तक,
खतरे में देश-रक्षा हर क्षण,
दुश्मन की हों मौंजें तब तक,

भारत माँ को अब न लजाओ,
एकसूत्र निरापद हो जाओ,
सब मिल देश सबल बनाओ,
प्रखर गीत कोई ऐसा गाओ...!

आतंक कहर ढाता रहा,
शूरवीर प्राण लुटाता रहा,
रक्त-रंजित इस धरा पर,
जन-जीवन छटपटाता रहा,

और न सियासी खेल दिखाओ,
गद्दारों को सबक सिखाओ,
सैन्य का मनोबल बढ़ाओ,
 प्रखर गीत कोई ऐसा गाओ...

कहाता धरती पर जो स्वर्ग,
अनगिन वीर जहाँ उत्सर्ग,
आतंकियों से अमन-हराम,
 मकसद जिनका सदा कोहराम,

अब और न चमन तबाह कराओ,
 देशभक्ति की अलख जगाओ,
शत्रु का विध्वंस कराओ,
प्रखर गीत कोई ऐसा गाओ...

 ग्राम्य जीवन है भारत देश,
निश्चल-पावन इसका वेष,
कृषक, कारीगर उन्नति उन्मेष,
अथक परिश्रम का दें संदेश,

 सर्व-शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रगति,
सर्व जन हित का मार्ग सुझाओ,
 जन-गण-मन को सुदृढ़ बनाओ,
प्रखर गीत कोई ऐसा गाओ...!

जल, खनिज, वन-संपदा,
प्रकृति ने दी भरपूर  सदा,
सूखा-बाढ़, प्रकोप बहुधा
दहलाएं प्राकृतिक आपदा,

मुक्त-हस्त ना इसे लुटाओ,
मितव्ययता से इसे बचाओ,
 संसाधन संपन्न कहलाओ,
 नव-पीढ़ी थाती रखाओ,

स्वतंत्रता जय-राग सुनाओ,
जय-हिन्द की जयकार गुँजाओ,
सब जन हिलमिल करके आओ,
प्रखर गीत कोई ऐसा गाओ...!,,,

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arpana Sharma on September 9, 2017 at 12:24pm
आपकी सराहना का बहुत आभार आदरणीय जनाब समर कबीर जी एवं मोहम्मद आरीफ जी
Comment by Mohammed Arif on August 15, 2017 at 7:51pm
आदरणीया अर्पणा शर्मा जी आदाब, स्वतंत्रता दिवस की गरिमा-गौरव को रेखांकित करता बेहतरीन गीत । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on August 15, 2017 at 6:17pm
मोहतरमा अर्पणा शर्मा जी आदाब,यौम-ए-आज़ादी पर बढ़िया रचना हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service