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"अपनी धरती -अपना अंबर" - अर्पणा शर्मा /पर्यावरण दिवस पर विशेष

आओ बनाएँ निर्मल, अक्षय, सुंदर ,
यह प्रिय धरती अपनी-अपना अंबर

प्रकाश ध्वनि जलवायु में,
सर्वत्र प्रसारित प्रदूषण विषधर,
करें पर्यावरण विषैला नित ड़ंस-ड़ंस कर,
बढ़ गये हैं छिद्र ओजोन परत पर,
नानाविध रोग करते जीवन दूभर ,

कट रहे वर्षावन अंधाधुँध,
हर ओर फैल रहे विशाल बंजर,
वर्षा आह्वान में ये सक्षम क्यूँकर,
बंजर से कैसे निर्मित हों जलधर,
कई जीव-पाखी खोगये विलुप्त होकर,

कहीं रूठ जाते वर्षा के ये कहार,
कहीं बरस जाते टूट-टूटकर,
कहीं होता भीषण शीत का कहर,
कहीं ग्रीष्म हो जाती बहुत प्रखर,

अतिवृष्टि, भूकंप, सूखा, जल प्रलय,
नित ढ़हता आपदाओं का कहर,
कहीं सब कुछ बहा ले जाती ,
सुनामी की प्रचंड़, विशाल लहर,

वाहनों, कारखानों का सघन धुआँ,
दम घोंटे प्राणवायु दूषित कर,
विषैले कोहरे में जीव त्रस्त कसमसाकर,
वनस्पतियाँ भी नष्ट होरहीं मुरझाकर,
माटी कटती जाये खेतों-नदियों के तट पर,
बिना वृक्ष कौन रखे इसे बाँधकर,


समुद्रों में बह रहा तेल-गाद रिसकर,
जल-प्रदूषण से नष्ट होते जलचर,
चक्रवात-तूफान दूभर करते जीवन-बरस,
शहरों में नित बढ़ रहा प्लास्टिक जहर,
अतिक्रमण बाढ़ लाता जलनिकासी अवरूद्ध कर,

क्या पाएँगे हम पर्यावरण खोकर,
ये नेमतें फिर नहीं मिलतीं खोजाने पर,
स्वास्थ्य नहीं लौटता नष्ट होजाने पर,

धरणी करे याचना करबद्ध होकर,
सहेजें यह थाती सब मिलजुलकर,
ये हमारे पास नव-पीढ़ी की धरोहर,
त्यज झूठी आधुनिकता का आड़ंबर,
आओ बचाएँ प्रकृति, प्रदूषण नष्ट कर,

पर्यावरण बचाएँ वृक्षमित्र बनकर,
कटने ना दें कभी वृक्ष कहीं पर,
बिरवे रोपें, पोषित करें जल देकर,
सूखे की आपदा से रहें बचकर,
सब वर्षाजल धरती में सहेजकर,
निर्मल जल के सोते बहाएं निर्झर,
अपशिष्ट न फैले नदी-समुद्र तटों पर,
रखें स्वच्छ निर्मल घर और शहर,

प्रयुक्त पदार्थों का पुनर्चक्रण कर,
उपयोगिता इनकी बनाए रखकर,
अपशिष्टों का उचित प्रबंधन कर,
न करें वन-खनिज-जल संपदा व्यर्थ,

सर्वत्र लहलहाये हरितिमा विहँसकर,
शुद्ध वायु स्वास्थ्य दे नव-प्राण भरकर,
तटबंध बाँधे रखें वृक्ष प्रहरी बनकर,
जीवन नीर बरसायें सहर्ष जलधर,
कुम्हलाए वैश्विक तपन का असर,
उन्नत हो जलवायु समस्त जग पर,
फले-फूले जीवन यहाँ मन भरकर,

आओ बनाएँ निर्मल, अक्षय, सुंदर ,
यह प्रिय धरती अपनी-अपना अंबर!

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Arpana Sharma on June 8, 2017 at 11:23pm
आदरणीया श्रीमान् मोहम्मद आरीफ जी , श्रीमान् महेन्द्र कुमार जी एवं श्रीमान् नरेन्द्र सिंह जी - आप सभी सह्रदय सराहना का हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by narendrasinh chauhan on June 6, 2017 at 3:31pm

 संवेदना को दर्शाती खूब सुन्दर  रचना के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Mahendra Kumar on June 6, 2017 at 9:20am

पर्यावरण के कई पहलुओं को समेटे अच्छी प्रस्तुति है आ. अर्पणा जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Mohammed Arif on June 6, 2017 at 7:59am
आदरणीया अर्पणा शर्मा जी आदाब, पर्यावरणीय संचेतना को , संवेदना को दर्शाती बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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