राजभाषा हिन्दी के दिवस का
अवसर है पधारा,
14 सितम्बर 1949 के दिन
देवनागरी हिन्दी को
हमने अपनी
राजभाषा स्वीकारा,
यही ऐतिहासिक दिन
हिन्दी दिवस नाम से
जाता है पुकारा,
भारत की अनेकों भाषाओं के बीच
हिन्दी का आकर्षण
सबसे न्यारा,
ज्यों विशाल समुद्र में
मिल जातीं
सहस्त्रों जलधारा,
त्यों हिन्दी ने
सब भाषाओं को स्वीकार कर
अपना अस्तित्व सँवारा,
उर्दू, अरबी, संस्कृत,
फारसी, पाली, प्राकृत,
सबसे इसका नाता न्यारा,
विभिन्न भाषा-भाषी
राज्यों को पिरो के एक सूत्र में
संपूर्ण हिन्द में,
जगाती यह भाईचारा,
अनेकता में एकता का
देती यह नारा,
विश्व में हिन्द की अलख जगाये,
प्रसारे हिन्द की गौरव-गाथा,
आओ बढायें हिन्दी का मान,
चहुँ ओर इसका फहरायेँ परचम,
घर, बाहर इसी में सब काम,
हिन्दी में ही वार्तालाप आनंद,
शिक्षा में दिलायें इसे प्रमुख स्थान,
हिन्दी में ही हो तकनीकी ज्ञान,
रोजगार उन्मुख हो
हिन्दी अध्ययन- पाठन,
नई पीढी ले इसका
गंभीर संज्ञान,
हिन्दी का है साहित्य
अनूठा-अपार,
रचयिता इसके
साहित्यकार महान,
इसने हिन्द का इतिहास सँवारा,
संपूर्ण विश्व करता
इसका सम्मान,
अक्षुण्ण रहे इसकी मैलिकता,
सुदृढ हो इसकी वैश्विकता,
रहे सदैव यही प्रयास हमारा,
हिन्दुस्तानियों का ये अभिमान,
हिन्दी से ही हिन्द की शान,
गुँजाये समवेत सब मिल
यह गर्वीला नारा,
"हिन्दी हैं हम वतन हैं,
प्यारा हिन्दुस्तान हमारा "
.
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
अच्छा प्रयास हुआ है आपका आदरणीया अर्पणा जी | हार्दिक बधाई |
हिन्दी दिवस के औचित्य और इतिहास को कविता का रूप देने की अच्छी कोशिश हुई है
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online