आदरणीय साथिओ,
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आभार आपका आ0 बरखा शुक्ल जी ।
आपका आभार आ0 नीता जी ।
बहुत अच्छी सन्देशप्रद रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपाई जी| //लच्छों चाची कुछ न बोली । बस झोले से स्लेट और खड़िया निकाल ली पीछे पलट कर एक बार देखा// अनकहे विषय को भी यह पंक्तियाँ सार्थक कर रही हैं कि घर की महिलायें परिवर्तन को समझ गयीं|
आपका हार्दिक आभार आदरणीय चंद्रेश जी ।
आपका हार्दिक आभार , आदरणीय मो0 आरिफ साहब ।
आपका आभार , आदरणीय वीर मेहता जी ।
वाह ! बहुत खूब आदरणीय अन्नापूर्णा जी । पिछले आयोजन के बाद इस आयोजन में भी आपकी लघुकथा ने कमाल ही कर दिया। भाषा में स्वभाविक आंचलिकता का पुट, बढ़ीया व साकारात्मक कथानक, शानदार शिल्प और प्रभावशाली व सटीक शीर्षक । सादर शुभकामनाएं ।
आपका हार्दिक आभार ! आदरणीय रवि प्रभाकर जी । आपका रचना पर आना आनंदित कर गया ।
बहुत बढ़िया और सकारात्मक रचना प्रदत्त विषय पर, बधाई आपको आ
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