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कुछ क्षण ही बीते होंगे उस कोहराम को मचे।इला की दृष्टि घड़ी पर गई।ऑफिस का समय हो रहा था।रोज की ही कहानी है सोच उसने अपने आँसू पौंछे और तुरन्त रसोई में पहुँच लंच' तैयार कर दफ़्तर को निकल गई।दिनभर मन उचाट ही रहा।शाम को लौटते हुए उसके कदम मायके की ओर मुड़ गये।
" अरे इला बेटी ! कैसी है ? आ भीतर आ ..."
" ठीक हूँ माँ।"इला ने एक ओर पर्स पटका और धम्म से सोफ़े पर बैठ गई।
" आज फिर हाथ उठाया कमल ने ?" इला अक़्सर तभी आती,जब उसका कमल से झगड़ा होता।ये बात इला की माँ बहुत अच्छे से जानती थी ।
"..........." इला 'टेबिल' पर रखी पुस्तक उठाकर तेज़ी से पन्ने पलटने लगी।
" तू पढ़ी-लिखी अपने पैरों पर खड़ी है फिर भी?"
" मेरी पगार जानती हो न , खुद का पेट नहीं भर सकती , बच्चों का क्या भरूँगी ?"इला की नज़रें अभी भी पुस्तक पर जमी थीं।
" तू हमें भी कमल से बात नहीं करने देती, आखिर कब तक सहती रहेगी सब कुछ ?" स्वर में चिंता स्पष्ट झलक रही थी।
" एक बात पूछूँ माँ ? "इला ने माँ की आँखों में आँखे डालते हुए पूछा।
" हम्म..." आँखें उत्सुकता से फैल गईं।
" क्या तुम मुझे और बच्चों को रखने को तैयार हो ? उत्तर जानने की व्यग्रता इला के चेहरे पर साफ दिख रही थी।
"........." कुछ क्षणों के लिए कमरे में ख़ामोशी गूँज उठी ।" तेरे पापा से पूछती हूँ । "
" इसकी जरुरत नहीं " व्यंग्य मिश्रित मुस्कान फेंक इला पर्स उठाकर बाहर निकल गई।
----------------------------
शशि बंसल
मौलिक एवं अप्रकाशित।
8/10/2017

Views: 564

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Comment by rajesh kumari on October 11, 2017 at 5:50pm

बहुत अच्छी लघु कथा लिखी है शशि जी ,माँ के जबाब से भी पता लग गया की माँ ने भी अपनी जिन्दगी कैसे गुजारी होगी|

मैं हैरान होती हूँ ऐसे माँ बाप पर जब कहीं ये सब देखती हूँ या पढ़ती हूँ किन्तु ये सब भी हो रहा है इस जमाने में अपना बच्चा चाहे लड़का या लडकी यदि परेशानी में है तो कोई माँ बाप कैसे मुँह मोड़ सकते हैं |

बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 5:08pm

वाह आदरणीया शशि जी पंच लाइन बहुत पसंद आई | कथा भी बहुत सुंदर लिखी है बधाई स्वीकारें |

Comment by Nita Kasar on October 11, 2017 at 5:07pm
विवाहित जीवन का क्या विकल्प है माँ के सामने बड़ी दुविधा है ।बधाई कथा के लिये आद० शशि बंसल जी ।
Comment by Samar kabeer on October 10, 2017 at 3:04pm
मोहतरमा शशि बंसल जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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