अनुष्टुप छंद
यह छन्द न पूर्णतयः मात्रिक है, न ही पूर्णतयः वार्णिक। इसमें चार चरण होते हैं। हर चरण में आठ वर्ण होते हैं - पर मात्राएँ सबमें भिन्न भिन्न। प्रत्येक चरण में पाँचवा वर्ण लघु और छठा वर्ण गुरु होता है। पहले और तीसरे चरण में सातवाँ वर्ण गुरु होता है, और दूसरे और चौथे में सातवाँ वर्ण लघु होता है।प्रत्येक चरण के बाद यति होती है।
ॐ
अम्बे सर्वेश्वरी दुर्गा, माँ जगत्जननी सती |
रोग दोष मिटा सारे, बुद्धि दे माँ सरस्वती ||
कष्ट पीड़ा मिटा मेरे, बस दे भक्ति सद्गति |
शारदे वरदानी माँ , दूर कर कुसंगति ||
संदीप पटेल “दीप”
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बहुत ही सुंदर सादर बधाई
बहुत बहुत आभार आदरणीय रमेश जी सादर
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