For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उमड़-घुमड़ बदरा नभ छाये,

नाचें वन में मोर.

बाट जोहते भीगीं अँखियाँ,    

आ भी जा चितचोर.

 

तेज हवा के झोंके आकर,

खोल गए खिड़की.

तभी कडकती बिजली ने भी,

दी हमको झिड़की.

 

दादुर, झींगुर डरा रहे हैं,

मचा मचा कर शोर.

 

आया गगन धरा से मिलने,

बाहें फैलाये.

नदिया सागर से संगम को,

मन में अकुलाये.

 

संध्या ले अरमान खड़ी है,

मुस्काती है भोर.

 

हरी-भरी हो गई धरा तो,

आया जब सावन.

मगर तुम्हारे बिना जेठ सा,

तपता मेरा मन.

 

एक बूँद जब गिरी गाल पर,

हृदय गयी झकझोर.  

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:24am

आदरणीय Sushil Sarna जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:24am

आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:24am

आदरणीया  babitagupta  जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:23am

आदरणीया  Neelam Upadhyaya जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2018 at 5:28pm

आदरणीय मौसम के अनुरूप सुंदर और मधुर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई।

Comment by Shyam Narain Verma on July 17, 2018 at 3:47pm
सुंदर गीत के लिए तहे दिल बधाई के साथ सादर 
Comment by babitagupta on July 16, 2018 at 9:15pm

चंद पंक्तियों में बरसात के मौसम की पूरी छटा का वर्णन ,बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 16, 2018 at 10:29am

आदरणीय बसंत कुमार जी , बहुत ही बढ़िया गीत की रचना।  बधाई। 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 15, 2018 at 9:50pm

आदरणीय समर कबीर जी को सादर नमस्कार, आपकी समीक्षा का हमेशा ही मुझे इंतजार रहता है, जी उचित है मैं सुधर लेता हूँ. इसी तरह स्नेह बनाये रखें सादर नमन 

Comment by Samar kabeer on July 15, 2018 at 8:21pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत उम्दा और सुंदर गीत रचा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

बाट जोहते भीगीं अँखियाँ,

इस पंक्ति में ' अँखियाँ' शब्द बहुवचन है, इसलिये 'जोहते' को "जोहती" करना उचित होगा, या 'बाट जोहते भीगे नयना'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service