For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिट गए नक़्श सभी....संतोष

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़इलुन

मिट गये नक़्श सभी दिल के दिखाऊँ कैसे

एक भुला हुआ क़िस्सा मैं सुनाऊँ कैसे

जा चुका है जो सभी तोड़के रिश्ते मुझसे

सोचता हूँ उसे आवाज़ लगाऊँ कैसे

अहमियत दिल की यहाँ लोग  समझते ही नहीं

उनको इस बात का अहसास दिलाऊँ कैसे

तिश्नगी उसकी बुलाती है इशारों से मुझे

मैं समन्दर की भला प्यास बुझाऊँ कैसे

प्यार का कोई तलबगार नहीं दुनिया में

इस ख़ज़ाने को मैं 'संतोष' लुटाऊँ कैसे

#संतोष_खिरवड़कर

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on November 19, 2018 at 8:36pm

आ. लक्ष्मण जी ,आभार!!!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 19, 2018 at 1:16pm

आदरणीय संतोष जी, अच्छी गज़ल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by santosh khirwadkar on November 19, 2018 at 8:32am

आ. राज साहिब पुनः त्रुटि...”भूला” 

Comment by santosh khirwadkar on November 19, 2018 at 8:30am

शुक्रिया आ. विजय जी 

Comment by santosh khirwadkar on November 19, 2018 at 8:29am

शुक्रिया आ. अजय जी

Comment by santosh khirwadkar on November 19, 2018 at 8:28am

शुक्रिया आ राज साहब ...सहमत ..”भूली” होना चाहिए.. टंकण त्रुटि के के लिये सम्पूर्ण मंच से क्षमा!!!

Comment by santosh khirwadkar on November 19, 2018 at 8:27am

शुक्रिया आ. क़मर जौनपुरी साहब

Comment by santosh khirwadkar on November 19, 2018 at 8:26am

शुक्रिया आ. श्री समर साहब 

Comment by vijay nikore on November 19, 2018 at 3:43am

गज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, आदरणीय संतोष जी

Comment by राज़ नवादवी on November 18, 2018 at 10:41am

मेरे ख्याल से- 

मिट गये नक़्श सभी दिल के दिखाऊँ कैसे

एक भुला हुआ क़िस्सा मैं सुनाऊँ कैसे

में भुला को भूला करना उचित होगा, बह्र भी तभी मुकम्मल होगी. सादर. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service