आदरणीय साथिओ,
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ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-44 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है .
आपका भी हार्दिक स्वागत है आदरणीय गणेश 'बाग़ी' जी ।
अत्यंत दु:ख के साथ सूचित किया जाता है कि आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की मामी जी का इंतक़ाल होने की वजह से लघुकथा गोष्ठी में अपनी सहभागिता नहीं दे पाएँगे । सादर ।
तहे दिल से आपका भी स्वागत-अभिनंदन इस विचारोत्तेजक विषय केंद्रित लघुकथा गोष्ठी 44 में।
चिंता
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" तुम्हारे गाँव की अनुमानित आबादी कितनी है ?"
" जी साब , यही कोई तीन-चार हजार के करीब ।"
" हूँ..हूँ....।"
" स्कूल है ?"
" जी साब , तीन प्रायवेट स्कूल और एक सरकारी हायर सेकण्डरी स्कूल है जिसका हर साल परिणाम बहुत अच्छा आता है । स्कूल पूरे समय लगता है ।"
" वाह ! क्या बात है । स्वास्थ्य केंद्र है ?"
" जी साब, टीकाकरण भी होता है और शहर से डाक्टर साब भी आते हैं ।"
" और क्या -क्या है तुम्हारे गाँव में ?"
" पक्की सड़क , आँगनवाड़ी , सार्वजनिक शौचालय , बीज केंद्र , सहकारी साख समिति सबकुछ है साब ।"
" मतलब विकसित गाँव है ।" उसने बड़े आश्चर्य से कहा ।
" हाँ साब , मगर गाँव में इन सबका बुरा असर पड़ा है ।
" वो क्या ?"
" गाँव तो विकसित हो गया लेकिन सभी अपने-अपने में सिमट गए । अकेलेपन और अहंकार की बीमारी घर-घर में फैल गई । बस यही चिंता हमें खाई जाती है । "
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
आधुनिकता का जामा पहने व्यक्ति के मानवीय मूल्य, संवेदनाएं समाप्त हो गई है, बेहतरीन रचना के माध्यम से वर्तमान मनस्थिति बयां करती रचना।बधाई आदरणीय आरिफ सरजी।
लघुकथा पर सटीक टिप्पणी देकर सफल बनाने का हार्दिक आभार आदरणीया बबीता जी ।
"गांव में पांव" और उस में उस "गांव की ही तलाश!" बदलाव की प्यास और होड़ में ही अपनी मौलिक गुणवत्ता खोते गांव के मार्मिक परिणाम दिखाती विचारोत्तेजक रचना और एतद द्वारा बेहतरीन आग़ाज़ के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और स्वागत अभिनंदन मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब। इसे पढ़कर एक ख़ूबसूरत ग़ैर फ़िल्मी एलबम की युगल स्वर वाली ख़ूबसूरत ग़ज़ल भी तरोताज़ा हो गई - "एक प्यारा सा गांव, जिसमें पीपल की छांव..!"
इस गीत को भी सुनियेगा :
उपरोक्त गीत के अलावा यह गीत सुनकर भी लघुकथा का आनंद व सम्प्रेषण दूना हुआ :
लघुकथा पर बहुत ही सटीक और समीक्षात्मक टिप्पणी देकर सफल बनाने का हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाल उस्मानी जी ।
लघुकथा पर सटीक टिप्पणी देकर सफल बनाने का हार्दिक आभार आदरणीया कनक हरलल्का जी ।
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