आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
"जागृति"
मुझे बहुत ख़ुशी हुई जब मेरी छोटी बेटी ने बताया की कल मौसी के बेटे आए थे और उनके साथ उनका तीन-चार साल का छोटा बेटा अरमान भी था।जिसने बहुत मस्ती की और मैंने उसे एक छोटी सी चॉकलेट दी जिसे उसने खोल कर मुंह में डाल-ली और छोटी सी पन्नी हाथ में लेकर मुझसे पूछने लगा डस्टबिन कहां है मुझे ये पन्नी डालना है उसमें।
ये सुनकर मैं हैरान भी हुआ और मुझे ये एहसास भी हुआ के वाक़ई पूरी तरह बदलाव लाया जा सकता है। अगर शिद्दत से उस पर कोशिश की जाए।
यह रचना इसके नीचे भी डबल टाइपिंग के साथ पोस्ट हो गई है जनाब आसिफ़ ज़ैदी साहिब। कृपया उसे डिलीट कर दीजियेगा।
बहुत ही सहज तरीक़े से नव-जागृति की गंभीर बात/अभ्यास उभारा गया है विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय आसिफ़ ज़ैदी साहिब। //जिसे (जो) उसने खोल कर मुंह में डाल-ली (डाल ली।)//.. //एहसास/अहसास भी हुआ के ( कि) वाक़ई//..// हैरान (भी) हुआ और मुझे ये एहसास भी//
सोच लें तो क्या नहीं हो सकता, बढ़िया रचना विषय पर. बहुत बहुत बधाई आ आसिफ ज़ैदी साहब
जनाब आसिफ़ ज़ैदी साहिब आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
आपने मंच के नियमानुसार अंत में मौलिक व अप्रकाशित नहीं लिखा है?
आदाब। यह रचना दो बार पोस्ट हो गई है। नीचे वाली डिलीट कर दीजियेगा आदरणीया कनक हरलाल्का जी।
अंतिम बेहतरीन पंचपंक्ति के साथ बढ़िया मुद्दा विषयांतर्गत उठाते हुए उम्दा रचना कही है आपने। फ्लैशबैक का इस्तेमाल भी बढ़िया है। हार्दिक बधाई आदरणीया कनक हरलाल्का साहिबा।
लेकिन पहले अनुच्छेद में सुधार की ज़रूरत है। व अगले अनुच्छेदों से कुछ अनावश्यक शब्द या पंक्तियां कम की जा सकती हैं। हालांकि कि अतीत की बातों को याद करने से भी लघुकथा का बढ़िया शैली में आरंभ हो सकता था। क्या बेटे का ही नाम सोम (सोमनाथ) है? यदि हां, तो शब्द बेटा/बहू ही इस्तेमाल किया जा सकता है, पात्र-नाम के बग़ैर। या नामों से ही रचना कहें। रचना में वरुणा ने भी हालात मुताबिक़ अपनी जीवनशैली बना ली है। कोई आये या न आए। न आने से उसकी जीवनशैली की बाधायें ही कम होंगी। ज़रूरत विशु जी को जागृत होने की है, हालात मुताबिक़ उन्हें भी समझौते कर यथा अनुकूल जीवनशैली अपनाना होगी। क्या मैं सही समझ पाया, बताइयेगा।
अगर बच्चों के पास माँ बाप के लिए समय नहीं है तो माँ बाप ही उनको सोचकर क्यों परेशान हों. बहुत बढ़िया रचना प्रदत्त विषय पर. थोड़े संपादन से और बेहतर हो सकती है, बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए आ कनक हरलालका जी
आप की लघुकथा का इंतजार है आदरणीय विनय कुमार जी.
समय और परिस्थिति के हिसाब से अच्छी कथा. हार्दिक बधाई आप को .
जनाब कनक जी आदाब,प्रदत्त विषय पर लघुकथा अच्छी बनी है,बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |