आदरणीय साथिओ,
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स्वागतम ।
करत-करत अभ्यास के........
राजू का विद्यालय के वार्षिक कार्यक्रम मे सम्मान,उसके गणित विषय के साथ इंटर परीक्षा में पूरे राज्य में अब्बल स्थान प्राप्त किया था,विशेष अतिथि राज्यपाल द्वारा किया गया.तालियों की गड़गड़ाहट के साथ.प्रिंसीपल महोदय इस उपलब्धि के लिए उसकी मेहनत और लग्न को दे रहे थे,जबकि राजू अपनी कामयाबी के लिए अपनी दादी को मान रहा था.
उसे उस दिन की बात स्मरण हो आई,जब वो गणित के जोमेट्री के सवाल स्कूल में,टयूशन पर बार समझने पर भी अपने आप से ठीक से नहीं कर पा रहा था.उसकी परेशानी का कारण राजू से, दादा जी ने पूछा तो उसके बताने पर दादा जी ने उससे कहा, ‘तुम्हारी दादी काला अक्षर,भैंस बराबर,पर देखो घड़ी देखना सीख गई.’
‘कुछ समझा नहीं ,दादाजी.’
‘याद करो जब दादी तुम सबसे टाईम पूछती,तो तू लोग कभी बता देते,कभी झुँझला जाते,लेकिन फिर भी वो सीख गई.’
राजू याद करने लगा.दादी को टाईम बताते तो,वो खुद आकर घड़ी की सुईयों को याद कर लेती,एक तरह से दिमाग में बैठा लेती,कि कितने बजे,कौन सा कांटा कहाँ पर हैं,जब कभी हम लोग टाईम गलत बताते ,तो तुरंत पकड़ लेती.दादा जी ने सही समझाया कि अपनी दादी से सीखों,प्रेरणा लो.सीखने के पीछे का कारण-उनकी तीव्र इच्छा,वो भी दिल से,ना कि बोझ समझकर.सही कहा-
‘करत-करत अभ्यास के,जड़मति होत सुजान.’
मौलिक व अप्रकाशित
आदरणीय बबीता जी बहुत बहुत बधाई प्रथम प्रस्तुति व प्रदत्त विषय पर सुन्दर लघुकथा की स्वीकार करें मोहतरमा ।
आभार,आदरणीय आसिफ सरजी।
आदाब। सुस्वागतम। बहुत बढ़िया प्रेरक प्रसंग को लघुकथा रूप देने का बढ़िया प्रयास। प्रेरणा और दृढ़ निश्चय उभारती बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा। तीन पात्रों के बजाय मुख्य दो पात्रों को लेकर भी फ़्लेशबैक का इस्तेमाल कर इसे कहा जा सकता है मेरे विचार से।
आभार,शेख सरजी।
//‘तुम्हारी दादी काला अक्षर,भैंस बराबर// नहीं,
‘तुम्हारी दादी के लिए काला अक्षर,भैंस बराबर.
आभार योगराज सरजी।
प्रदत विषय पर रचना सुंदर बनी है आद : बबिता जी, हालांकि वाक्य-विन्यास पर थोडा ध्यान देना जरूरी लग रहा है, बरहाल आयोजन की प्रथम और विषयानुरूप बढ़िया रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
आभार वीरेंद्र सरजी।
आदरणीया बबिता गुप्ता जी, ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी की शुरुआत अच्छी लघु कथा से करने के लिए हार्दिक बधाई।
आभार नीलमा दी.
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