आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ दोवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
19 अक्टूबर 2019 दिन शनिवार से 20 अक्टूबर 2019 दिन रविवार तक
इस बार के छंद हैं -
1. शक्ति, तथा
2. कुण्डलिया
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
एक बात और, आप आयोजन की अवधि में अधिकतम दो ही रचनाएँ प्रस्तुत कर सकते हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
19 अक्टूबर 2019 दिन शनिवार से 20 अक्टूबर 2019 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीया प्रतिभा पांडे जी कुण्डलिया एवं शक्ति छंद में दोनों प्रस्तुतियां अतिसुन्दर बन पड़ी है हार्दिक बधाई स्वीकार करें
कुदरत की हो मार या, ये शोषक के काम
ख़बरी सच्चे को कहाँ, मिलता है आराम
मिलता है आराम, चैन कब उसे सुहाए
जन चिंतन का पक्ष, लिए आगे बढ़ जाए
सतविंदर जब नार, गहे साहस को सह मत
माता का ही रूप, दिखाने लगती कुदरत।
उत्तम छंदों के सृजन के लिए सादर बधाई आदरणीया प्रतिभा दीदी।
आदरणीया प्रतिभा जी, आयोजन में आपकी उपस्तिथि प्रतीक्षित थी। इस बार के आयोजन के दोनों छंदों में आपकी रचनाएँ आयी हैं, यह स्वागतयोग्य है।
पगलाये हैं मेघ, रहो सब आज सँभलकर .. सही बात ! इस बार मेघों ने जो कुछ किया है वह विस्मय से भी अधिक लोगों के मन में भय बैठा गया।
प्रस्तुतियों के लिए हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ
शुभातिशुभ
विधा : शक्ति छंद
मापनी : १२२ १२२ १२२ १२
प्रभावित हुए बाढ़ से गांँव है।
भरा जल घरों में नहीं ठांँव है।
नदी तोड़ खतरा निशां बह रही।
कहीं ना गुजारा फिज़ा कह रही।१।
हुआ ठप्प सा लोक जीवन यहाँ।
चहुंओर मातम मचा है जहाँ।
अचानक यहाँ आज बादल फटे।
सभी लोक संचार माध्यम कटे।२।
सुना चार खंभे प्रजातंत्र के ।
टिका कर रखें दूर षड़यंत्र से ।
खबर मीडिया से सही जानते ।
उसे खंभ चौथा सभी मानते।३।
नहीं मीडिया किंतु पीछे यहाँ।
निभा कर्म अपना रही हैै वहाँ।
रही साध संवाद नारी निडर।
बडा साहसिक यार लगता जिगर।४।
लिये हाथ माईक दिखे बे फिकर।
नहीं नाव क्या ग़म चढी डेक पर ।
मनुज दो सहारा जिसे दे रहे।
फंँसी नाव मांझी यथा खे रहे।५।
-मौलिक व अप्रकाशित
कही बात पूरी सही छन्द है
लुभाता हमें देख लो बंद है
पढ़ें बिन जिन्हें बस नहीं हम रहें
बधाई बधाई बधाई कहें।
सादर
आदरणीय सत्यनारायण जी, आपकी रचना के लिए आपका सादर धन्यवाद.
आपने इस बार की विभीषिका का चित्रवत बखान किया है.
प्रभावित हुए बाढ़ से गांँव है। .... प्रभावित हुए को प्रभावित हुआ कर दिया जाय तो पंक्ति एकवचन की हो जाएगी. इससे तुकान्तत में सहुलियत हो जाएगी.
हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ
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1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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