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Abhinav Arun's Discussions (1,778)

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"आर.पी. जी यदि तरही की लाइन 'नयी' हो तो मेरे ख्याल से अच्छा रहेगा. गौर कीजियेगा .इससे…"

Abhinav Arun replied Sep 21, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"घर नया ले लिया शहर में बेटे ने, बाप माँ को वही झोपड़ी रह गई, यथार्थ चित्रण, बहुत खूब…"

Abhinav Arun replied Sep 21, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"बाँटने को ख़ुशी, हाथ तैयार थे, बीच दीवार कोई खड़ी रह गई वाह अरविन्द जी बहुत बढ़िया."

Abhinav Arun replied Sep 21, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"बागी जी आपकी प्रशंसा बड़ी काम करती है .आगे और बेहतर करने का प्रयास रहेगा .शुक्रिया."

Abhinav Arun replied Sep 20, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"आनंद आ गया अति सुन्दर!!"

Abhinav Arun replied Sep 19, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"अच्छे शेर हैं !! पूरी ग़ज़ल की प्रतीक्षा है नवीन जी !"

Abhinav Arun replied Sep 19, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"कारवां तो गुबारों में गुम हो गया एक निगह रास्ते पर जमी रह गई सचमुच यह ग़ज़ल की उंचाई ह…"

Abhinav Arun replied Sep 19, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"हालांकि व्याख्या की ज़रुरत नहीं फिर भी, ये शेर शायर की नज़र से लिखा गया है."

Abhinav Arun replied Sep 19, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"आशा जी मैं यहाँ हूँ तो बस आपकी देन है! आपने ही फेस बुक पर ओ.बी.ओ.का लिंक दिया था. ने…"

Abhinav Arun replied Sep 19, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"धन्यवाद !!! मैं सचमुच इस मंच की बेहतरीन ग़ज़लों को पढ़कर मंत्रमुग्ध हूँ ..सबने एक से ब…"

Abhinav Arun replied Sep 19, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
9 hours ago

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Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
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pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
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