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कथा की समीक्षा एवं प्प्रशंसा हेतु हार्दिक आभार आदरणीय।
सच के करीब कथा ! बधाई
आभार आदरणीय, दो शब्दों में पूर्ण समीक्षा ।पुनः धन्यवाद।
जनाब पवन जैन साहिब , कलयुग का आईना दिखाती अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
हौसला अफजाई हेतु शुक्रिया जनाब Tasdiq Ahmed khan साहिब।
अपना अपना फर्ज जो जितना निभा सके।धन्यवाद आदरणीय नीता जी ।
बहुत बहुत आभार आदरणीय शशि जी।
"झुकी हुई डाली अलग न हो जाए,अतः सींचता रहा पर वह सीधी न हुई ।हाँ उसमें जडें निकल आई,और छोड दिया पुराने खोखले तने को ।" इस पंक्ति ने दिल को छू दिया ,वाह .
कथा आपके दिल तक गई ,लेखन सार्थक हो गया ।बहुत बहुत आभार आदरणीय।
आदरणीय पवन जी, टूटते संयुक्त परिवारों की वास्तविकता को परखती बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने जिसमें स्वार्थ और स्वाभिमान के बिन्दुओं के इर्द गिर्द कथानक बुना है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर
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