आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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उन का आक्रोश फलीभूत हुआ. सुंदर . बधाई आप को आदरनीय समर कबीर जी .
अक्सर यही होता है साम्प्रदायिक दंगे हों या कोई ओर लुटेरों की चाँदी हो जाती है | बहुत अच्छी लघु कथा हार्दिक बधाई आपको आद० समर भाई जी| आयोजन का आगाज़ करने की बधाई भी स्वीकारें
बहुत खूब आदरणीय समर कबीर साहब, विषय को परिभाषित करती कथा पर हार्दिक बधाई.
हार्दिक बधाई आदरणीय समर कबीर साहब जी!इस बार तो आप दो दो बधाई के पात्र हो गये!एक तो इतनी शानदार लघुकथा के लिये, दूसरे गोष्ठी का उद्घाट्न करने के लिये!पुनः बधाई!
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