For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ लखनऊ चैप्टर का वार्षिकोत्सव - 2018 - एक प्रतिवेदन

ओबीओ लखनऊ-चैप्टर का वार्षिकोत्सव - 2018  – एक प्रतिवेदन

  • डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव

ओपन बुक्स ऑनलाईन के लखनऊ चैप्टर की नींव 18 मई 2013 के दिन एक अनाड़म्बर परिवेश में ओबीओ के संस्थापक की उपस्थिति में रखी गयी थी. उसके बाद बहुत से उतार-चढ़ाव के साथ सामंजस्य बैठाते हुए यह चैप्टर अपने छठे वर्ष में प्रवेश कर चुका है. पिछले वर्ष तक स्थापना दिवस समारोह मई के महीने में ही आयोजित किया जाता रहा है किन्तु मौसम की प्रखरता से हटकर सभी के सुविधार्थ इस वर्ष यह कार्यक्रम भारतेंदु नाट्य अकादमी, गोमती नगर, लखनऊ के बी.एम.शाह प्रेक्षागृह में रविवार दिनांक 25 नवंबर 2018 को समारोहपूर्वक मनाया गया I इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे सुपरिचित गीतकार, कवि एवं ओबीओ लखनऊ चैप्टर के शुभाकांक्षी डॉ. धनञ्जय सिंह I मुख्य अतिथि के साथ कार्यक्रम को विशेष ‘धज’ प्रदान करने वाले दो विशिष्ट अतिथि थे – डॉ. पाण्डेय रामेन्द्र  और डॉ. अनिल मिश्र I ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम की प्रबंधन टीम का प्रतिनिधित्व डॉ. प्राची सिंह ने किया I

ओबीओ लखनऊ-चैप्टर के संयोजक डॉ. शरदिंदु मुकर्जी ने अपराह्न दो बजे कार्यक्रम का आरम्भ करते हुए अतिथियों और उपस्थित साहित्य अनुरागियों को सबसे पहले ओबीओ (ओपन बुक्स ऑनलाइन) का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि ओबीओ अन्तर्जाल की एक विशिष्ट साहित्यिक साईट है जिसके तीन हजार से अधिक सदस्य पूरे भारत में तथा विदेशों में भी फैले हुए हैं I इस साईट में साहित्य की सभी प्रमुख विधाओं में रचना कर्म होता है और इसके सदस्य आपस में सीखने और सिखाने का कार्य करते हैं I  यहाँ हर सदस्य गुरु है और शिष्य भी I  

अतिथियों के मंच पर आह्वान के तुरंत बाद माँ सरस्वती की प्रतिमा की अर्चना के साथ ही अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया I  तदुपरांत आलोक रावत ‘आहत लखनवी ‘ ने माँ शारदा की वंदना में एक सुंदर गीत पढ़ा –

जन-जन का कल्याण मिले माँ

मनचाहा वरदान मिले माँ

वाणी वंदना’ के बाद डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव द्वारा रचित ‘यक्ष का संदेश’ नामक पुस्तक एवं ओबीओ लखनऊ-चैप्टर की वार्षिक स्मारिका ‘सिसृक्षा’ का अतिथियों द्वारा लोकार्पण हुआ I इस अवसर पर ‘यक्ष के संदेश’ पर बोलते हए डॉ. पाण्डेय रामेन्द्र ने कहा कि डॉ. गोपाल ने जो काव्यानुवाद प्रस्तुत किया है, वे उसे छायानुवाद मानते हैं I अनुवाद करना वैसा ही कठिन है जैसा कि किसी के पद-चिह्नों पर चलना I कितनी भी सावधानी से आप किसी के पद-चिह्न पर अपना पाँव रखें, फिर भी उसका सही बैठ पाना असम्भव है I  इसलिए अनुवाद करना सरल कार्य नहीं है I  सरकारी अनुवादक किस तरह भाषा का सत्यानाश कर रहे हैं, यह सभी हिन्दी प्रेमी जानते हैं I डॉ. गोपाल ने अपनी रचना में मेहनत की है I उन्होंने यह भी कहा कि अब समय बदल गया है I साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध होने के बावजूद अब अनुवादों को महत्व मिलना कम हो गया है I इसलिए रचनाकार को मौलिक लेखन की ओर प्रवृत्त होना चाहिए I

‘यक्ष का संदेश’ पर वक्तव्य समाप्त होने के बाद  डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव ने शाल और सरस्वती माँ की प्रतिमा भेंट करते हुए अपने गुरु का सम्मान किया I

आयोजन की अगली कड़ी के रूप में संचालक डॉ. शरदिंदु मुकर्जी ने ‘सामयिक हिन्दी लेखन में भाषा का परिदृश्य ‘ विषय पर विमर्श के लिए मंच पर डॉ. स्कन्द शुक्ल और भूपेन्द्र सिंह ‘शून्य’ को आमंत्रित किया I विमर्श का समारंभ करते हुए डॉ. अनिल मिश्र ने भाषा की व्युत्पत्ति पर प्रकाश डालने के साथ ही उसे भारतीय दर्शन से जोड़कर नई ऊँचाई दी I उन्होंने यह भी बताया कि आज के प्रख्यात पत्रकार और साहित्यकार तक भाषा के प्रति गंभीर नहीं हैं I उन्होंने बिना नाम लिए एक पत्रकार / साहित्यकार  के बारे में बताया जिनकी एक टिप्पणी यह थी कि – यह ‘गुड’ नहीं है I डॉ मिश्र ने कहा कि अंग्रेजी शब्द के हिन्दी में प्रयोग के वे विरुद्ध नहीं हैं I इससे तो भाषा समृद्ध होती है I किन्तु जहाँ पर हिन्दी का उपयुक्त शब्द मौजूद है,  वहाँ जान-बूझकर अंग्रेजी शब्द का प्रयोग करना भाषा के साथ व्यभिचार करना है I उन्होंने बताया कि बड़े-बड़े नामी साहित्यकार भी ‘अनेक’ के स्थान पर ‘अनेकों’ का प्रयोग करते है I स्पष्ट है कि भाषा की शुद्धता के प्रति साहित्यकार ही जागरूक नहीं है, फिर सामान्य लोगों की बात ही क्या ?

डॉ. स्कन्द शुक्ल ने ‘अनेकों ‘ शब्द का सूत्र पकड़ते हुए डॉ. हरिवंशराय बच्चन के ‘मधुशाला’ का उद्धरण प्रस्तुत किया जो निम्न प्रकार है –

बहुतों के सिर चार दिनों तक चढ़कर उतर गई हाला,
बहुतों के हाथों में दो दिन छलक झलक रीता प्याला,

डॉ. स्कन्द शुक्ल के अनुसार ‘अनेकों ‘ शब्द वैसा ही गलत है जैसे ‘बहुतों ‘ I  किन्तु कविता में इतनी छूट रहती है I उन्होंने अंग्रेजी तर्ज पर राम को रामा , कृष्ण को कृष्णा, योग को योगा और बुद्ध को बुद्धा कर देने पर क्षोभ व्यक्त किया I उनके अनुसार राम और रामा, कृष्ण तथा कृष्णा, योग एवं योगा, बुद्ध अथच बुद्धा में अर्थ भेद है I यदि पढ़ने – पढ़ाने की यही परम्परा चलती रही, तो आने वाले कल में लोग राम और रामा का फर्क भूल जायेंगे I साथ ही वह राम के स्थान पर रामा को ही सच समझने लगेंगे I इसी प्रकार एक उदाहरण उन्होंने ‘सुतपा’ (सुन्दर तपश्चारिणी अर्थात  पार्वती ) का दिया,  जिसे लोग अंग्रेजी प्रभाव से सुतापा लिखते हैं और अर्थ का अनर्थ कर देते हैं I  

भूपेन्द्र सिंह ने भाषा को शुद्ध बनाने पर बल देते हुए डॉ स्कंद शुक्ल द्वारा प्रस्तावित भाषा के मानकीकरण  करने की बात पर सहमति व्यक्त की I उनका कहना था कि किसी शब्द को जब हम बोलें तो सुनने वाला उसका वही अर्थ ग्रहण करे जिस अर्थ में बोलने वाले ने उसे कहा I तभी उस शब्द की और बोलने की सार्थकता है I उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार की ओर से कुछ पहल की गयी है लेकिन उसका प्रचार-प्रसार नहीं हुआ है I उन्होंने साहित्यकारों, समाज और सरकार का भी आह्वान किया कि सब मिलकर भाषा के मानकीकरण को गम्भीरता से लें I

संचालक डॉ.शरदिंदु ने मुख्य अतिथि से प्रश्न किया कि भाषा की शुद्धता के लिए क्या चीज सबसे अधिक जरूरी है ? इस पर समाधान प्रस्तुत करते हुए डॉ. धनञ्जय सिंह ने कहा कि श्रेष्ठ साहित्य का अधिक से अधिक अध्ययन करना ही एकमात्र विकल्प है I इसी से भाषा की शुद्धता के प्रति अध्येता का आग्रह बढ़ सकता है I 

इस गुरुगंभीर साहित्यिक विमर्श के बाद बांग्ला साहित्य के कोमल भाव और माधुर्य से ओतप्रोत गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर रचित चार रचनाओं का कोलाज “सृजनी” नृत्य-नाट्य का  ‘कालीबाड़ी आवासन शिल्पी वृन्द‘, फरीदाबाद के कलाकारों द्वारा बड़ी ही मनोहारी प्रस्तुति की गयी I गुरुदेव की चार रचनाओं – श्यामा, चित्रांगदा, शापमोचन और चंडालिका के मुख्य नारी चरित्रों को लेकर इस नृत्य नाटिका का संयोजन, संचालन और निर्देशन सुश्री अजन्ता मिश्रा ने किया I सुश्री अजन्ता मिश्रा सहित अन्य प्रतिभागी कलाकार थे - सुश्री अमितापाल, सुश्री अन्वेषा मित्रा एवं सुश्री देवांगी कश्यप I लगभग पैतालीस मिनट के इस जादुई मंचन ने दर्शकों को कीलित सा कर दिया I सभी कलाकारों का, विशेष रूप से सुश्री देवांगी कश्यप का अभिनय अत्यंत सराहनीय रहा I

नृत्य-नाटिका के बाद इन कलाकारों को स्मृति-चिह्न भेंट कर ओबीओ प्रबंधन समिति की सदस्य डॉ प्राची सिंह ने सम्मानित किया. इसी क्रम में ओबीओ लखनऊ-चैप्टर के वरिष्ठ सदस्य कथाकार डॉ अशोक शर्मा ने मुख्य अतिथि और दोनों विशिष्ट अतिथियों को भी स्मृति-चिह्न भेंट कर उनके प्रति हम सब की कृतज्ञता व्यक्त की.

कार्यक्रम के अंतिम चरण में डॉ. शरदिंदु मुकर्जी के संचालन में काव्य-पाठ का आयोजन हुआ I जिन कवि और कवयित्रियों ने इस मनोज्ञ अनुष्ठान में अपना योगदान किया उनके नाम इस प्रकार हैं – डॉ. धनञ्जय सिंह, डॉ. अनिल मिश्र, डॉ. प्राची सिंह, डॉ. अशोक शर्मा,  सुश्री निर्मला शुक्ला,  सुश्री पूर्णिमा वर्मन,  सुश्री संध्या सिंह,  सुश्री आभा खरे,  अलोक राहत ‘आहत लखनवी’, भूपेंद्र सिंह ‘शून्य‘, मनोज शुक्ल ‘मनुज‘ एवं डॉ दीपक मेहरोत्रा I 

 

कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि डॉ. धनञ्जय सिंह ने सभी प्रतिभागियों और उपस्थित समुदाय की सराहना की और ‘सृजनी’ नृत्य नाटिका से जुड़े कलाकारों के अभिनय की प्रशंसा करते हुए कहा  कि मनोभाव किसी भाषा के मुहताज नहीं होते उन्हें केवल चेहरे से पढ़ा जा सकता है और बखूबी पढ़ा जा सकता है  I इस सत्य को फरीदाबाद से आये कलाकारों ने आज प्रमाणित करके दिखा दिया है I उन्होंने यह भी कहा  कि इतना शांत, संयमित, अनुशासित और समयबद्ध कार्यक्रम अब देखने को नहीं मिलता I इसके लिए डॉ. शरदिंदु मुकर्जी और लखनऊ चैप्टर के उनके साथी बधाई के पात्र हैं I

सुश्री आभा खरे ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम पर विराम की मुहर लगा दी I डॉ. शरदिंदु ने ठीक समय पर कार्यक्रम समाप्त करने में सहयोग देने के लिए सभी का आभार व्यक्त करते हुए सूक्ष्म जलपान के लिये आमंत्रित किया I सभी चाय की चुस्कियों में मशगूल थे I किन्तु मेरे कानों में मुख्य अतिथि डॉ. धनञ्जय सिंह की पढ़ी कविता हाहाकार कर रही थी - 

कौन किसे 

क्या समझा पाया

लिख लिख गीत नए

दिन क्यों बीत गए।

 

-----------------****-----------------------

Views: 564

Reply to This

Replies to This Discussion

बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें .......सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
20 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service