आदरणीय साथिओ,
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ईमानदार, आदर्शवादी और धार्मिक टाइप के ही निकले और उनका लाड़ला बेटा उनसे भी बढ़कर!"---ये पंक्ति ही भेद खोल रही है की लड़की व् उसके परिवार को कैसा लड़का चाहिए था जो रिश्वत व् भ्रष्टाचार की दौलत से बेटी का दामन भर दे ऐसा कुछ सपना होगा उस परिवार
सच में आज ईमानदार इंसान धारा के विपरीत ही हो गया है बहुत खूब ...बहुत बहुत बधाई आपको आद० उस्मानी जी
आदरणीय शेख उस्मानीजी आप की लघुकथा लाजवाब हुई है. बड़े पेट वाले लोग. बहुत उम्दा विचार उठाया है आप ने . बधाई आप को.
बेईमानी का खाने और पचाने के लिए सचमुच में बडा पेट चाहिए ...बहुत अच्छी कथा आदरणीय ...हार्दिक बधाई
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।आपने अच्छा विषय चुना।बहुत सुन्दर लघुकथा।
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