आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय मोहम्मद आरिफजी, आप ने दोनों लघुकथा अलग अंदाज में नई मनोदशा को ध्यान में रख कर लिखी है. आप का हार्दिक अभिनंदन व बधाई.
आ. मोहम्मद आरिफ जी कुछ हट के अपनी बात कहने का तरिका अच्छा लगा. दूसरी कथा ज्यादा पसंद आयी.आ.सुनील जी की बातो पर गौर फ़रमाइएगा. सादर बधाई
आ० आरिफ जी , पहली कथा नैतिक कथा की भांति है कथा ठीक ठाक है थोडा पञ्च जोरदार होता तो प्रभाव गहरा हो सकता था . दूसरी कथा में भी यही बात है . सादर आपके प्रयास हेतु बधाई .
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी साहब, दोनों रचनाओं के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें| पहली प्रस्तुति अच्छे कथ्य को समेटे हुए है, दूसरी लघुकथा का कथानक भी बहुत अच्छा है, मिसेस के स्थान पर श्रीमती का प्रयोग भी किया जा सकता है| दोनों रचनाओं पर आदरणीय योगराज जी सर, रवि प्रभाकर जी सर और अन्य सुधीजनों के सुझाए संशोधन अनुसार कार्य करें तो बेहतरीन रचनाएँ बन सकती हैं| सादर,
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