आदरणीय साथिओ,
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इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय ओम प्रकाश जी |
अच्छी लघुकथा है आ० ओमप्रकाश क्षत्रिय जी. एक आम भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार की मानसिकता को दर्शाती आपकी यह लघुकथा मुझे अच्छी लगी. इससे बेटी को ये सबक़ मिला कि किसी गवाह की मौजूदगी माँ बाप के लिए "और भी" चिंता का विषय है, क्योंकि अक्सर माँ बाप की पारखी निगाहें वह भी देख लेती हैं जो पर्दे के पीछे छुपा हुआ होता है, और कई बार उनकी शक्की और पूर्वाग्रह से ग्रसित नजरें वह भी देख/मान लेती हैं जिसका कोई अस्तित्त्व ही नहीं होता. बहरहाल, इस कसी हुई प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई प्रेषित है.
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