आदरणीय साथिओ,
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हथकड़ी
नवीन को यूँ हथकड़ियों में देख उसके एक दोस्त ने कहा , " हज़ार बार समझाया था तुमको कि शराब पी कर गाड़ी न चलाया करो पर तुम हर बार हमारी बातों को हँसी मज़ाक में टाल देते थे । "
नवीन कुछ न बोल पाया , चुप चाप पुलिस वैन में जाकर बैठ गया ।
वैन में बैठने से पहले नवीन के आस पड़ोस के लोग भी तरह तरह की बातें कर रहे थे ।
किसीने कहा , " अच्छा हुआ , शराबी पकड़ा गया , कम से कम एक तो कम हुआ । यह तो हर वक़्त नशे में धुत्त मिलता था । "
कोई बोला , " इसके बीवी बच्चे भी त्रस्त थे । पर सुना है जिस गाड़ी को यह चला रहा था , उसमें इसका परिवार भी था । उनका क्या हुआ ? " उत्सुकता वश उसने पूछा ।
इस बात का उत्तर देते हुए पहले ने कहा - " सुना है इसकी गाडी एक पेड़ से टकरा कर चूर चूर हो गयी , और इसकी बेटी का सर पेड़ से टकरा गया और वह घटनास्थल पर ही मर गयी ।"
तभी किसीने आकर बताया कि नवीन का जवान बेटा गाड़ी चला रहा था । दोनों बाप बेटे नशे में थे | गाड़ी के एक्सीडेंट में वह भी मारा गया |
नवीन को पुलिस ने इसलिये ही पकड़ा था कि उसने एक शराबी को गाड़ी चलाने को कहा ।
हथकड़ियों में बंधा नवीन अपनी इस बुरी लत्त को अपनों के शव में तब्दील हुए बेबसी से देख रहा था |
मौलिक एवं अप्रकाशित
हार्दिक बधाई आदरणीय कल्पना जी। अच्छी लघुकथा ।
धन्यवाद् आदरणीय तेज वीर सिंह जी |
धन्यवाद् आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी |
प्रदत्त विषय से न्याय करती बढ़िया संदेशप्रद लघुकथा है आदरणीया कल्पना जी. मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. मोहम्मद आरिफ़ जी की बात से मैं भी सहमत हूँ. शायद इसके पीछे समयाभाव प्रमुख कारण रहा है. सादर.
जी महेंद्र जी , सही कह रहे हैं | सादर |
जी सही कह रहे हैं आप आदरणीय महेंद्र कुमार जी |
बहुत सुंदर मनोभाव सजो रखे थे दिल में. पुरे आनंद के साथ निकालना थे आदरणीय कल्पना भट्ट जी..
चुक गयी थोड़ी आदरणीय ओम प्रकाश जी | क्षमा चाहती हूँ |
चुकाने का भी अपना आनंद है. कुछ तो सिखने को मिलेगा.इस का भी मज़ा लीजिए.
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