आदरणीय साथिओ,
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आप आजकल जिस मनोदशा से गुज़र रही हैं मैं उसे समझ पा रहा हूँ प्रिय शशि जी. यह लघुकथा बेहद मर्मस्पर्शी हुई है जो पढने वाले को द्रवित करती है. जब समय मिले इसे संपादित कर और प्रभावशाली बनाने का प्रयास करें. और इस सुंदर लघुकथा पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें.
आदरणीया शशि जी जिस स्थिति से गुज़र रही हो समझ सकती हूँ | संभालें खुद को | हार्दिक बधाई आपको इस कथा के लिए |
मर्म स्पर्शी लघु कथा ! शशि जी !
हार्दिक बधाई आदरणीय शशि जी।मार्मिक प्रस्तुति।
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