आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय महेंद्र कुमार जी आदाब,
एक वैज्ञानिक पात्र के माध्यम से कथा को बहुत अच्छी धार दी । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
सादर आदाब आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी। लघुकथा को पसंद करने के लिए आपका आभारी हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, आप स्वयं बहुत अच्छा लिखते हैं। आपको किसी अन्य के जैसा लिखने की आवश्यकता नहीं है। वैसे इस सन्दर्भ में आपने मेरे नाम लिया जो मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। इस हेतु मैं आपका हृदय से आभारी हूँ। कथा के सन्दर्भ में आपके विचारों से मैं सहमत हूँ। देखता हूँ इसे कैसे बेहतर कर सकता हूँ। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
आपके रचे कथ्य और पात्र के साथ साथ आपकी परिकल्पना वास्तव में आपके लेखन का एक प्रभावी हिस्सा है आदरणीय मह्नेद्र कुमार जी. आस्था के संदर्भ में सर्वशक्तिमान के प्रति सच्ची श्रद्धा और पूजा को कथ्य में ढालना और उसका परमात्मा की अदालत में निर्णय होना, सचमुच बहुत जीवंत बना है.. हालांकि लघुकथा प्रभावी बनी है, तब भी मुझे लगता है कि पहले भाग को (पास्कल की विचारधारा या सोच को ) अभी और तराशा जा सकता है. बरहाल आयोजन में हमेशा की तरह एक बेहतरीन रचना के लिए मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करे भाई जी.
अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से रचना को सफल बनाने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय वीरेंद्र मेहता जी ।
आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूँ आदरणीय वीर मेहता जी। आपके सुझाव अनुसार उस हिस्से को और प्रभावी बनाने की पूरी कोशिश रहेगी। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
मनुष्य स्वभाव का बेहतरीन चित्रण ।वह हमेशा अपने फायदे की ही बात खोजता है चाहे ईश्वर में विश्वास का प्रश्न ही क्यों न हो ।बेहतरीन सृजन महेन्द्र कुमार जी ।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया कनक हरलालका जी। हार्दिक आभार। सादर।
वाह, बहुत बढ़िया और सोचने पर मजबूर करती रचना विषय पर, अधिकांश लोग शायद इसी तर्क के चलते भगवन को मान लेते होंगे, भले उनका दिल इसके लिए गवाही नहीं देता. एक अलग कथानक को चुनने और उसे निभाने के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आ महेंद्र कुमार जी
रचना के मर्म तक पहुँचने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ आदरणीय विनय कुमार जी। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
वाह महेंद्र जी. बहुत उत्तम.
कहते हैं. प्रभु दृढ नास्तिक को विचलित आस्तिक से अधिक पसंद करते है.
आपने आस्था की दृढ़ता को क्या खूबी से उभारा. और कथनी व् कथनी में अंतर करने वाले धर्म/विज्ञान को भी प्रतीकात्मक रूप से लपेटा. बहुत बढ़िया.
धन्यवाद आदरणीय अजय जी। हार्दिक आभार। सादर।
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