आदरणीय साथिओ,
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जितनी सुविधाएँ हो गई विकास हो गया उतना ही इंसान अपनी दुनिया में सिमट के रह गया विकास का जहाँ अच्छा परिणाम है वहाँ कुछ दुष्परिणाम भी हुआ है प्रदत्त विषय पर अच्छी लघु कथा लिखी है आद० आरिफ साहब हार्दिक बधाई आपको
लघुकथा पर सटीक और समीक्षात्मक टिप्पणी देकर सफल बनाने का हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी ।
वाह। विकास की कीमत किस कदर चुकानी पड़ रही है। उसका बेहतरीन वर्णन। खूब।
हार्दिक आभार आदरणीय अजय गुप्ता जी ।
बहुत सुंदर रचना आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब. दिनों-दिन विकसित होते गाँव, विकास के साथ आने वाले दुष्प्रभावों का शिकार भी होते जा रहे हैं, इस परिणाम को बहुत सटीक शब्दों में दिखाया है आपने. बधाई स्वीकार कीजिये भाई जी.
हार्दिक आभार आदरणीय वीरेंद्र मेहता जी ।
गोष्ठी का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत बधाई आ मोहम्मद आरिफ साहब, बहुत बढ़िया और सारगर्भित लघुकथा लिखी है आपने. विकास का यह पहलू बहुत कष्टदायक है, बहुत बहुत बधाई इस प्रभावशाली रचना के लिए
हार्दिक आभार आदरणीय विनय कुमार जी ।
गाँव का जबसे शहरीकरण हुआ है,परिणाम संतोषप्रद नही निकलें,उम्दा कथा के लिये बधाई आद०मोहम्मद आरिफ़ जी ।
हार्दिक आभार आदरणीया नीता कसार जी ।
तरक्की के नाकारात्मक पहलू पर रोशनी डालती कथा के लिए हार्दिक बधाई आ. मोहम्मद आरिफ जी ।
हार्दिक आभार आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी ।
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