आदरणीय साथिओ,
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जनाब तस्दीक़ साहब बहुत बहुत मुबारकबाद बहुत बढ़िया लघुकथा मोहतरम।
जनाब आसिफ साहिब , लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
आ. तसदीक़ साहब ।बहुत सुन्दर शिक्षाप्रद कथा की प्रस्तुति हुई है । बधाई स्वीकार करें ।
मुह तरमा कनक साहिबा, लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
आदाब। मनुष्य को प्रेरणा प्रकृति/पशु-पक्षी/वनस्पतियों से ही मिलती रही है। बेहतरीन समापन पंक्तियों के साथ विषयांतर्गत बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब। शीर्षक खिलते/बोलते दरख़्त जैसा कुछ भी हो सकता है मेरे विचार से।
जनाब भाई शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब , लघुकथा पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
एक नई सीख देती रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब.
जनाब ओम प्रकाश साहिब, लघुकथा पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहब, प्रदत्त विषय पर अच्छी प्रेरणाप्रद रचना के लिए हार्दिक बधाई।
मुह तरमा नीलम साहिबा, लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
क्या ही लाजवाब लघुकथा हुई है आ० तस्देक अहमद खान साहिब, वाह वाह. बहुत ही उत्तम और सकारात्मक सन्देश उभर कर आया है. इस उत्कृष्ट लघुकथा के लिए मेरी दिली मुबारकबाद स्वीकार करें.
मुहतरम जनाब योगराज साहिब, आपकी उम्दा प्रतिक्रिया से मेरा लिखना सार्थक हो गया, इस ज़र्रानवाज़ी का तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया I
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